अभी हमारा फॉर्म तक जमा नहीं हुआ, 80% का दावा पूरी तरह गलत तेजस्वी ने एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग पर साधा निशाना
अभी हमारा फॉर्म तक नहीं भरा
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने एसआईआर को सिर्फ दिखावा करार दिया और आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद वोटर लिस्ट से नाम हटाने की एक संगठित साजिश है।
अभी हमारा फॉर्म तक नहीं भरा
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग दावा कर रहा है कि 80% से अधिक फॉर्म भर दिए गए हैं, जबकि हमारा खुद का फॉर्म तक नहीं भरा गया। सवाल यह है कि क्या यह आंकड़ा सच है? और अगर हां, तो उसमें से कितने फॉर्म असली और सत्यापित हैं? उन्होंने यह भी दावा किया कि कई मतदाताओं को जानकारी तक नहीं है कि उनके नाम पर फॉर्म भरा जा चुका है। बीएलओ और आम नागरिक दोनों इस प्रक्रिया को लेकर भ्रमित हैं। तेजस्वी यादव ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद चुनाव आयोग ने दस्तावेजों की सूची में कोई बदलाव क्यों नहीं किया? उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है।
एक वोट भी कटा तो अपराध होगा
तेजस्वी ने शंका जाहिर की कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी और उसके शीर्ष नेता मोदी, अमित शाह और नीतीश कुमार के इशारे पर हर बूथ से 10-50 वोट काटने का टारगेट दिया गया हो? उन्होंने कहा कि अगर एक भी वोट काटा गया तो इससे बड़ा अपराध कोई नहीं होगा, और इसके जिम्मेदार प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री होंगे।
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने भी उठाए सवाल
वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि एक संवैधानिक संस्था अब सूत्रों के हवाले से बयान दे रही है। यह काम चुनाव से ठीक पहले हो रहा है, जब सबसे गरीब तबके के पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं। ऐसा लग रहा है कि लोगों को जानबूझकर बेबस किया जा रहा है।
अब समझ आ रहा है वोटर रोल में विदेशियों के नाम कैसे आ गए
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, 2003 में जब आखिरी बार बिहार में रकफ हुआ था, तब राज्य में आरजेडी की सरकार थी, राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं, लेकिन लालू प्रसाद परोक्ष रूप से सत्ता पर हावी थे। अब समझ आ रहा है कि वोटर रोल में विदेशियों के नाम कैसे शामिल हो गए। यह भी स्पष्ट हो रहा है कि दिल्ली से पटना तक सेक्युलरिज्म के ठेकेदार इतने परेशान क्यों हैं।

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