ईडी को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार : कहा-हमारा मुंह मत खुलवाइए, ईडी को लेकर महाराष्ट्र में हमारा अनुभव खराब है
राजनीति चुनाव तक होनी चाहिए उसके बाद नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को राहत दी है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को राहत दी है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ईडी को फटकार लगाते हुए कहा कि चुनाव तक राजनीति ठीक है। दरअसल ईडी ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू से कहा कि आप हमें अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर नहीं करें। ईडी को लेकर महाराष्ट्र में हमारा अनुभव खराब है। राजनीति चुनाव तक होनी चाहिए, उसके बाद नहीं। जांच एजेंसियों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
बता दें कि ईडी ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी से सिद्धारमैया की पत्नी को भूखंड के आवंटन में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था। इस मामले में पार्वती को कर्नाटक हाईकोर्ट से राहत मिल चुकी है। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुनवाई करते हुए की कई सख्त टिप्पणियां, ईडी वरिष्ठ अधिवक्ताओं को समन कर सारी हदें पार कर रहा
उच्चतम न्यायालय ने एक मामले में कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं को तलब करने के मामले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच के तरीके नाराजगी व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि वह ‘सारी हदें पार कर रहा है।’ पीठ ने ईडी द्वारा हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को तलब किए जाने के बाद स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए कई सख्त टिप्पणियां कीं और इस मामले में दिशानिर्देश बनाने का सुझाव दिया। पीठ ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि इतने सारे मामलों में जहां उच्च न्यायालय ने सुविचारित आदेश पारित किए थे, ईडी ‘केवल अपील दायर करने’ के लिए ही अपील दायर कर रहा है। पीठ ने कहा कि एक अधिवक्ता और मुवक्किलों के बीच संवाद विशेषाधिकार प्राप्त संवाद होता है। उनके खिलाफ नोटिस कैसे जारी किए जा सकते हैं? वे सारी हदें पार कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अधिवक्ता दातार जैसे कानूनी पेशेवरों को हाल ही में ईडी द्वारा जारी किए गए नोटिस का वकालत के पेशे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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