सतरंगी सियासत

एग्जिट पोल के अनुमानों का आंकलन देखें तो भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन की सरकार बनने की संभावना।

सतरंगी सियासत

पाकिस्तान इन दिनों परमाणु नीति की भी बात कर रहा। लेकिन साथ में उसकी माली हालत की भी खासी चर्चा। अब इन सबमें पीओजेके कैसे पीछे रहने वाला? लेकिन इसकी चर्चा ज्यादा इधर। क्योंकि माना जा रहा। मोदी सरकार की वापसी हुई। तो पीओजेके में बड़ा ऑपरेशन संभव!

अगला एजेंडा!
एग्जिट पोल के अनुमानों का आंकलन देखें तो भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन की सरकार बनने की संभावना। नरेन्द्र मोदी तो इतने आश्वस्त कि उन्होंने अगले 125 दिनों की कार्य योजना पर मंथन भी शुरू कर दिया। अब अगले कार्यकाल में उनका एजेंडा क्या होगा? इस पर भी कयास शुरू। सबसे पहले तो देश की जनगणना लंबित। जो कोरोनाकाल के बाद से नहीं हो पाई। इसके बाद आम चुनाव की तैयारी शुरू हो गई। मोदी पहले ही संकेत दे चुके। इस बार बड़े निर्णय होंगे। मतलब इलेक्ट्रानिक जनगणना, एक देश-एक चुनाव, एनआरसी, सीएए को जमीन पर उतारना, देशभर की विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्रों का डि-लिमिटेशन, महिलाओं को एक तिहाई राजनीतिक आरक्षण, समान नागरिक संहिता। फिर पीओजेके पर भी चर्चा जोरों पर। लेकिन इस बीच, संसद की सुरक्षा भी खासी चर्चा में। जो तैयारियां हो रहीं। वह बिना किसी खुफिया सूचना के तो संभव नहीं!

कयास... जिज्ञासा...
मंगलवार को आम चुनाव- 2024 का परिणाम आ रहा। ऐसे में कई दलों और नेताओं का मानो सब कुछ दांव पर। कई के लिए तो मानो जीवन मरण का सवाल। ऐसे में चार जून को क्या होगा? इस पर देशभर की ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की नजरें। खासकर उन देशों की जो भारत को भविष्य में अपना प्रतिद्वंदी मानते। भारत की धाक और साख लगातार बढ़ रही। इससे कई देशों के पेट में ऐंठन हो रही। उनका व्यवहार और गाहे बगाहे उनके बयान इसकी नजीर। बल्कि भारत को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं चूकते। इधर, कई दलों के अस्तित्व का सवाल। कई क्षत्रप अवसान की ओर बढ़ रहे। भले ही चुनाव में एनडीए गठबंधन के मुकाबले आईएनडीआईए हो। लेकिन परिणाम बाद कौन किधर कूद जाए। कहा नहीं जा सकता। क्योंकि अब राजनीतिक विचारधारा एवं वादे की प्रतिबद्धता पुराने जमाने की बात हो गई।

पाक की कोशिश...
देश में आम चुनाव हो और पाक का जिक्र नहीं आए। यह कैसे संभव? पाक को लेकर यहां नेताओं की बयानबाजी हो। तो समझ आए। लेकिन यदि पाक में भी बयानबाजी नहीं रूके। तो क्या कहा जाए? सो, यह रस्म इस बार भी भरपूर हुई। इस बार राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को जीत की बधाई आई। तो इस पर पीएम मोदी ने आपत्ति जताई। इन सबमें चर्चा में रहे इमरान खान सरकार में मंत्री रहे फव्वाद चौधरी। उन्होंने तो मोदी को हटाने तक कि बात कर दी। साथ में चौधरी भाजपा पर भी हमलावर रहे। हां, पाकिस्तान इन दिनों परमाणु नीति की भी बात कर रहा। लेकिन साथ में उसकी माली हालत की भी खासी चर्चा। अब इन सबमें पीओजेके कैसे पीछे रहने वाला? लेकिन इसकी चर्चा ज्यादा इधर। क्योंकि माना जा रहा। मोदी सरकार की वापसी हुई। तो पीओजेके में बड़ा ऑपरेशन संभव!

एग्जिट पोल...
तो आम चुनाव के परिणाम से पहले बहुप्रतिक्षित एग्जिट पोल सामने। यह लगभग वैसा ही जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था। कम से कम एनडीए और खासकर भाजपा समर्थकों के लिए। लेकिन आईएनडीआईए का आत्मविश्वास भी बरकरार। शनिवार को मल्लिकार्जन खड़गे का जोश और उत्साह देखने लायक था। विपक्षी गठबंधन के नेता बैठक के बहाने जुटे थे। लेकिन सभी की बॉडी लैंग्वेज बहुत कुछ कह रही थी। हां, विपक्ष की बयानबाजी आशा के अनुरूप। उन्होंने वह निर्णय भी एक ही दिन में पलटा कि उसके नेता उन टीवी डिबेट में भाग नहीं लेंगे। जो एग्जिट पोल से संबंधित होंगी। हां, यह बिल्कुल जरूरी नहीं कि जो बताया जा रहा, वह होने जा रहा। लेकिन जनता का मूड तो पता चल ही गया! मानकर चलिए, नतीजों पर दुनिया की नजर। नरेन्द्र मोदी तीसरी बार पीएम बने। तो वह दुनिया के वरिष्ठ राष्टÑाध्यक्षों में शामिल होंगे।

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अगला परिदृष्य...  
यदि परिणाम वही रहा जो एग्जिट पोल में बताया जा रहा। तो देश का अगला राजनीतिक परिदृश्य क्या होगा? इसका संकेत एनसीपी नेता शरद पवार दे चुके। जिसमें उन्होंने कहा कि अब कई क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस में विलय संभव। क्योंकि भविष्य में राजनीतिक सरवाइवल का यही तरीका। वरना फिर ऐसे दलों को भाजपा के साथ जाना होगा। कुछ क्षेत्रीय दल अपने-अपने प्रदेशों में सत्ता में या किसी अन्य दल के साथ के साथ गठजोड़ में। जिन्हें केन्द्र के साथ मिलकर चलना होगा। क्योंकि केन्द्र के साथ बिगाड़कर चलने का मतलब राज्य के हित प्रभावित होने की संभावना। इसीलिए ओडिशा में बीजद और आंध्रप्रदेश में वायएसआरसीपी तमाम असहमतियों के बावजूद बुरे वक्त में केन्द्र के साथ खड़े रहे। जिसका उन्हें लाभ भी मिला। ऐसे में जो दल इस चुनाव में भाजपा के सामने वाले पाले में खड़े रहे। भविष्य में उनकी राजनीति में रूकावटें संभव।

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न इधर, द उधर...
चुनाव परिणाम में एनडीए और आईएनडीआईए को कितनी सीटें मिलेंगी। सभी की नजरें इसी पर। हालांकि दोनों ही ओर से सत्ता की दावेदारी। लेकिन उन दलों की कोई सुध नहीं ले रहा। जो न इधर, न उधर वाले खेमे में। इनमें प्रमुख रूप से नवीन पटनायक की बीजद, जगनमोहन रेड्डी की वायएसआरसीपी, केसीआर की बीआरएस और एआईएडीएमके (पलानीस्वामी गुट) जैसे दल प्रमुख रूप से शामिल। यह सभी दल अभी तक दोनों खेमों से बराबर दूरी बनाए हुए। लेकिन चुनाव परिणाम बाद कौन कहां जाएगा? कुछ कहा नहीं जा सकता। जिस तरह से इन दलों की राजनीतिक स्थिति बताई जा रही। उससे इस बार यह पक्ष या विपक्ष को प्रभावित कर पाएंगे। इसमें संदेह! ऐसे में इनकी प्रासंगिकता पर सवाल उठेंगे। केसीआर तो सत्ता से बाहर हो चुके। अबके वायएसआरसीपी की भी संभावना जताई जा रही। जबकि नवीन पटनायक की सेहत को लेकर चर्चा बनी हुई! 

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दिल्ली डेस्क
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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