भारत पहुंचे 3 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, इंडियन आर्मी के लिए आए यह चौपर्स कहलाते हैं फ्लाइंग टैंक
हर तरह के युद्ध के लिए घातक
भारतीय सेना को अमेरिका निर्मित अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों का अंतिम बैच मिल गया है। तीन हेलीकॉप्टर हिंडन एयरबेस पहुंचे, जिससे 6 यूनिट की फ्लीट पूरी हुई। अत्याधुनिक टार्गेटिंग, नाइट विजन और घातक हथियारों से लैस ये हेलीकॉप्टर पश्चिमी मोर्चे पर तैनात किए गए हैं।
नई दिल्ली। भारतीय सेना की ताकत में और बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका में बने अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर के फाइनल बैच के तीन हेलीकॉप्टर भारत पहुंच गए हैं। अमेरिका में बने इन तीनों हेलीकॉप्टरों को लेकर एनटोनोव-124 हेवी लिफ्ट एयरक्राफ्ट दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा है। इन हेलीकॉप्टरों के पहुंचने से भारतीय सेना की आक्रामक क्षमता बढ़ेगी, साथ ही साथ टोही अभियानों में भी हाथ मजबूत होंगे।
अत्याधुनिक टार्गेटिंग सिस्टम से लैस: अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टरों की खासियत ये है कि इन्हें ऐसे स्टेट-ऑफ-द-आर्ट टार्गेटिंग सिस्टम से लैस किया गया है, जो हर तरह के मौसम में टारगेट को लेकर बेहद सटीक डेटा उपलब्ध करवाते हैं। इन हेलीकॉप्टरों में नाइट विजन नैविगेशन सिस्टम भी लगे हैं, जो भारतीय सेना के आक्रमण की क्षमता और बढ़ा देते हैं। ये हेलीकॉप्टर लेटेस्ट कम्युनिकेशन, नैविगेशन,सेंसर और वेपन सिस्टम से लैस हैं। इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल सेना न सिर्फ हमलों के दौरान, बल्कि सुरक्षा, टोही और शांति अभियानों में भी कर सकती है।
6 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर की फ्लीट तैयार :
तीन अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर का पहला बैच 15 महीनों की देरी से इस साल जुलाई में भारत आया था। हालांकि, सेना के एविएशन कोर ने मार्च 2024 में ही जोधपुर में पहला अपाचे स्क्वाड्रन बना लिया था। मंगलवार की फाइनल डिलीवरी के साथ ही इसकी 6 यूनिट के लिए 5,691 करोड़ रुपए की डील पूरी हो गई है, जिस पर फरवरी, 2020 में हस्ताक्षर हुए थे। अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों की तैनाती सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर की है।
अपाचे हेलीकॉप्टर क्यों है फ्लाइंग टैंक :
अपाचे एएच-64ई अटैक हेलीकॉप्टरों को अक्सर फ्लाइंग टैंक भी कह दिया जाता है। इसकी वजह ये है कि यह अपने फायरपावर और युद्ध के मैदान में डटे रहने की वजह से मशहूर है और दुनिया भर में मौजूद लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में अपनी एडवांस्ड मल्टीरोल कॉम्बैट क्षमता के लिए चर्चित है। यह अमेरिका में एरिजोना के मेसा में बना है और अमेरिकी सेना के अटैक फ्लीट का अहम हिस्सा है। भारत समेत कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
हर तरह के युद्ध के लिए घातक हैं :
हेलफायर मिसाइल, 70 एमएम रॉकेट और 30 एमएम चेन गन की वजह से ये हेलीकॉप्टर दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों, बंकरों और एयर डिफेंस को देखते ही देखते तबाह कर सकते हैं। इसके एडवांस्ड सेंसर, रात में लड़ाई की क्षमता और नेटवर्क्ड वॉरफेयर सिस्टम इसे बेहद खतरनाक और पहाड़ी युद्ध मैदानों में भी बहुत घातक बना देती हैं।

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