चीन के निशाने पर अमेरिका : अलास्का के पास बढ़ा रहा सैन्य ताकत, वर्चस्व कायम करने के लिए तेरी से फैला रहा अपने पैर
डिफेंस स्ट्रैटजी के लिए बड़ा खतरा बताया है
चीन और रूस के बीच बढ़ते कॉर्डिनेशन की तरफ इशारा करते हुए इसे अमेरिका की डिफेंस स्ट्रैटजी के लिए बड़ा खतरा बताया है।
वाशिंगटन। दुनिया में द ग्रेट जियो-पॉलिटिकल गेम जारी है। चीन अपना वर्चस्व कायम करने के लिए अपने पैर काफी तेजी से फैलाता जा रहा है और निशाने पर अमेरिका है। अमेरिका के एक शीर्ष जनरल ने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन, अलास्का के पास अपनी मिलिट्री ताकत को लगातार बढ़ा रहा है और बहुत संभावना है कि वह अपने बमवर्षक जहाजों और युद्धपोतों की तैनाती करने वाला है। अमेरिका नॉर्थ कमांड (नॉर्थकॉम) और उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (नोराड) के प्रमुख वायुसेना जनरल ग्रेगरी एम. गुइलोट ने सीनेट सशस्त्र सेवा समिति को बताया है, चीन न सिर्फ आसमान में, बल्कि समुद्र में भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। इसके अलावा उन्होंने चीन और रूस के बीच बढ़ते कॉर्डिनेशन की तरफ इशारा करते हुए इसे अमेरिका की डिफेंस स्ट्रैटजी के लिए बड़ा खतरा बताया है।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि आर्कटिक अब सिर्फ एक जमी हुई सीमा नहीं रह गई है, बल्कि अब ये शक्ति दिखाने का अखाड़ा बन रही है। पिछले साल जुलाई में अमेरिका ने अपनी आर्कटिक स्ट्रैटजी का खुलासा किया था, जिसमें दो बड़ी चिंताओं की तरफ इशारा किया गया था। इसमें चीन और रूस के बीच बनते कॉर्डिनेशन और जलवायु परिवर्तन का जिक्र किया गया था। पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्कटिक क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। स्ट्रैटजिक और भौतिक दोनों ही तरह से। इसने चेतावनी दी है कि अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी चीन लगातार इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है जबकि रूस एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
आर्कटिक क्षेत्र अब ग्लोबल पावर्स के बीच शक्ति प्रदर्शन का नया अखाड़ा बन गया है। अमेरिकी अधिकारियों की रणनीति में इस बात पर जोर दिया गया है कि, अमेरिका को अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। रूस का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और नाटो सहयोगी लगातार इस क्षेत्र में युद्धाभ्यास करते रहते हैं। इस क्षेत्र में अमेरिका के नेतृत्व वाले इस गठबंधन को हाई नॉर्थ के नाम से जाना जाता है। दूसरी तरफ चीन और रूस की सेना ने 2023 में बेरिंग जलडमरूमध्य में जमकर संयुक्त अभ्यास किया था, जो आर्कटिक जल में कॉर्डिनेशन का इशारा था। 2024 तक चीन और रूस की मौजूदगी इस क्षेत्र में बनी रही। अमेरिका के स्पेशल इकोनॉमिक जोन के अंदर अलास्का के पास चार चीनी युद्धपोत देखे गए थे, जो चीन और रूस द्वारा प्रशांत क्षेत्र में अपने वार्षिक संयुक्त गश्त शुरू करने के ठीक एक सप्ताह बाद पहुंचे थे।
अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने जब इसका विरोध किया तो चीनी नौसेना ने इसे नेविगेशनल आॅपरेशन की स्वतंत्रता करार दिया था। जबकि कोस्ट गार्ड ने आरोप लगाया था कि चीनी नौसेना के जहाज इंटरनेशन स्टैंडर्ड का पालन नहीं कर रहे थे। उसने कहा कि अमेरिकी कोस्ट गार्ड उनका डटकर मुकाबल करने के लिए तैनात थे, ताकि अलास्का में अमेरिकी हित सुरक्षित रह सकें। लेकिन चीन का संदेश साफ था कि वह अलास्का में घुस चुका है और आगे अपनी स्ट्रैटजी को तेजी से आगे बढ़ाएगा।
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