कश्मीर में बहाल की जानी चाहिए लोकतांत्रिक व्यवस्था : कांग्रेस
सरकार बजट के माध्यम से लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती है
जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह से पंगु हो गया है और केन्द्र सरकार बजट के माध्यम से वहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती है।
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह से पंगु हो गया है और केन्द्र सरकार बजट के माध्यम से वहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती है। इसलिए वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल की जानी चाहिए। कांग्रेस के विवेक तन्खा ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर के लिए बजट और अनुदान संबंधी मांगों पर एक साथ हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सदन में कश्मीर के बजट पर चर्चा हो रही है, लेकिन इसमें कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या यह बजट लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करता है और यदि नहीं तो वहां जल्द से जल्द लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली की जानी चाहिए। उन्होंने वित्त मंत्री की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि वित्त मंत्री के तौर पर भले ही आप कितना ही अच्छा बजट बना लें पर क्या यह लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा। तन्खा ने कहा कि वहां पांच वर्षों के दौरान या तो राष्ट्रपति शासन रहा है या राज्यपाल शासन रहा है जिससे प्रशासन के स्तर पर पूरी तरह पंगुता आ गयी है। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने जब डल लेक का दौरा किया तो वहां स्थिति बदहाल थी। निवेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में कोई विदेशी निवेश नहीं करेगा बल्कि कश्मीर छोड़कर गये लोग ही करेंगे। लेकिन इसके लिए माहौल बनाना होगा।
कश्मीर में सेब और केसर व्यवसाय बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में अपार संभावनाएं हैं लेकिन वहां लोगों की सरकार नहीं है। कश्मीर में शासन है सरकार नहीं है। इसलिए विधानसभा में वहां के लोगों की दिक्कतों और परिस्थितियों पर चर्चा नहीं हो रही है। तन्खा ने कहा कि कोविड के दौरान हजारों कश्मीरी छात्र देश भर में फंसे थे लेकिन उन्हें वापस लाने की व्यवस्था करने के लिए सरकार ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों ने इन बच्चों को वापस भेजने में मदद की। कश्मीर में पूरी तरह से प्रशासनिक पंगुता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर की जो गत बना दी गयी है उसे यदि जल्द ही ठीक नहीं किया गया तो पता नहीं क्या हालत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी करतारपुर साहिब की तरह धार्मिक पर्यटन शुरू करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए।
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