अमेरिकी सीनेट में पेश हायर विधेयक भारत के लिए चिंताजनक : भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका, जयराम रमेश ने कहा- चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर विचार करे सरकार
भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ेगा
सरल भाषा में हायर विधेयक कहा जा सकता है, को सदन में पेश किया है और यदि विधेयक पारित होता है तो भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ेगा।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि अमेरिकी सीनेट में हायर विधेयक पेश किया गया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका हो सकता है, इसलिए हमारी सरकार को इसकी चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर विचार करना चाहिए। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने मंगलवार को यहां एक बयान में कहा कि अमेरिकी सीनेट में सोमवार को ओहायो के सीनेटर बर्नी मोरेनो ने अंतरराष्ट्रीय रोजगार स्थानांतरण अधिनियम को रोकने वाला हाङ्क्षल्टग इंटरनेशनल रीलोकेशन ऑफ़ एंप्लॉयमेंट एक्ट, जिसे सरल भाषा में हायर विधेयक कहा जा सकता है, को सदन में पेश किया है और यदि विधेयक पारित होता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को सीनेट की वित्त समिति के पास भेजा गया है। इसमें उन सभी अमेरिकी व्यक्तियों और कंपनियों पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान है, जो विदेशी कंपनियों या व्यक्तियों को ऐसे काम के लिए भुगतान करते हैं, जिसका प्रत्यक्ष लाभ अमेरिकी उपभोक्ताओं को मिलता है। इस विधेयक को आउटसोर्सिंग भुगतान की नयी परिभाषा के रूप में पेश किया गया है। रमेश के अनुसार विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विधेयक भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर, बीपीओ, कंसङ्क्षल्टग सेवाओं और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। भारत ही नहीं आयरलैंड, इजरायल और फ़लिीपीन्स जैसे देशों को भी इससे नुकसान हो सकता है, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर भारत के सेवा निर्यात उद्योग पर पडऩे की आशंका जतायी जा रही है, जो पिछले 25 वर्षों से हमारी अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत स्तंभ रहा है।
विधेयक पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि यह कदम अमेरिका में बढ़ती उस सोच को दर्शाता है, जिसके अनुसार ब्लू-कॉलर नौकरियां चीन को'खोÓदी गयीं और अब व्हाइट-कॉलर नौकरियां भारत को नहीं सौंपनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों को कई झटके लगे हैं और हायर विधेयक उसी क्रम की एक और कड़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में पास हो भी सकता है या इसमें संशोधन भी किया जा सकता है। यदि यह विधेयक हकीकत में बदलता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है और भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों में एक न्यू नॉर्मल की स्थिति बन सकती है। सीनेटर मोरेनो का यह प्रस्ताव अमेरिकी राजनीतिक और आर्थिक गलियारे में गंभीर बहस की वजह बन सकता है, लेकिन भारतीय आईटी उद्योग और नीति-निर्माताओं की नजरें अब विधेयक की आगे की स्थिति पर रहेगी।

Comment List