गुजरात में चंदा दो-धंधा लो का सिस्टम : इसलिए टूट रहे हैं पुल, कांग्रेस ने कहा- भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण हो रहे है हादसे
रमेश संघवी के इस्तीफे की मांग की जाएगी
सरकार इस तरह के पिछले 16 मामलों में जांच के लिए ईमानदार अधिकारियों की टीम गठित नहीं करती, तो सड़कों पर उतरकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा गृहमंत्री हर्ष रमेश संघवी के इस्तीफे की मांग की जाएगी।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुजरात में मोरबी पुल ढ़हने से कई लोगों के मारे जाने की घटना को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए कहा कि राज्य में चरम भ्रष्टाचार के बीच वहां चंदा दो-धंधा लो की व्यवस्था चल रही है। रोड, पुल, कैनाल, अग्निकांड की घटनाएं लगातार हो रही हैं और इनकी जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की जा रही है। गुजरात विधानसभा में कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी एवं सेवादल के अध्यक्ष लाल देसाई ने कांग्रेस के नये मुख्यालय इंदिरा भवन में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं के लिए सरकार तुरंत जांच शुरु करवा देती है, लेकिन परिणाम शून्य रहता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार इस तरह के पिछले 16 मामलों में जांच के लिए ईमानदार अधिकारियों की टीम गठित नहीं करती, तो सड़कों पर उतरकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा गृहमंत्री हर्ष रमेश संघवी के इस्तीफे की मांग की जाएगी।
उन्होंने कहा कि राजकोट के अग्निकांड का मामला हो, वडोदरा में बोट पलटने का मामला हो, टीआरपी गेमिंग जोन का मामला हो, मोरबी ब्रिज के गिरने का मामला हो या सूरत में तक्षशिला का मामला हो जो पुलिस के अधिकारी शराब के अड्डों से, जुए के अड्डों से, बड़ी-बड़ी लैंड डील्स से या ड्रग्स के काले कारोबार से तगड़ी कमाई करते हैं, जो चुनाव के वक्त भाजपा को जितवाने की सुपारी लेते हैं-ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को ऐसे मामलो की जांच दी जाती है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब तक मीडिया और विपक्ष के तौर पर कांग्रेस का दबाव रहता है, तब तक कुछ लोगों की गिरफ्तारी कर की जाती है। गुजरात सरकार और उनके भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण प्रदेश में पिछले कुछ साल में कई हादसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता काफी समय से गंभीरा पुल के बारे में सवाल उठा रही थी और कांग्रेस संसदीय दल के नेता अमित चावड़ा ने भी कहा कि पुल जर्जर है, इसकी मरम्मत होनी चाहिए, ये गिर सकता है, लेकिन भाजपा सरकार ने एक न सुनी। कल हुई दुर्घटना में अबतक 16 लोगों की जान जा चुकी है और 7 लोग लापता हैं। पुल गिरने के बाद करीब 55 मिनट तक एक महिला चीखती-चिल्लाती रही कि हमें बचाइए, हमारे परिवार को बचा लीजिए।
कांग्रेस नेताओं ने गुजरात में हाल में हुई दुर्घटनाओं का विवरण देते हुए कहा कि करीब तीन साल पहले मोरबी में सरकार की अनियमितता से 135 लोगों की जान चली गई। राजकोट में जनता ने चेताया था, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया आखिर में गेमिंग जोन में आग लगने से कई लोगों की जान चली गई। वडोदरा में नाव पलटने से बच्चों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी। कुछ महीने पहले डीसा की एक फैक्ट्री में आग लगने से करीब 22 लोगों की मौत हो गई थी। गुजरात सरकार ने मानो तय कर लिया है कि दुर्घटना का हिस्सा बनिए, जान दीजिए और चार लाख रुपए का मुआवजा ले जाइए- यानी यहां आम जनता की जान की कीमत मात्र चार लाख रुपए है। देसाई ने कहा कि गुजरात में ऐसे कई मामले हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। हर जिले और तहसील में ब्रिज गिर रहे हैं। वहां रोड, पुल, कैनाल, डैम का टूटना, अग्निकांड होना बहुत आम हो गया है। जैसे ही ऐसी घटनाएं होती हैं, तभी गृह मंत्री कहते हैं कि गुनहगारों को छोड़ा नहीं जाएगा, लेकिन सवाल है कि किसी गुनहगार को छोड़ेंगे तभी, जब उन्हें पकड़ा जाएगा। गुजरात में सिर्फ पुल नहीं गिर रहे, पूरी सरकार गिर चुकी है। गुजरात में लोग आंदोलन कर रहे हैं और कह रहे हैं- रोड नहीं तो टोल नहीं। प्रदेश में हर तरफ हालात बेहद खराब हैं, लोग परेशान हैं। आज गुजरात में कुशासन है और रक्षक ही भक्षक बन चुके हैं।

Comment List