पिछले 80 वर्षों में समुद्री सतह पर अत्यधिक गर्मी की लहरें बढ़ी 3 गुना, गर्म लहरें पानी के नीचे के पारिस्थितिकी तंत्र को कर सकती है तबाह : अध्ययन
सतह का तापमान लंबे समय तक सामान्य से काफी ऊपर
रीडिंग विश्वविद्यालय में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस में अध्ययन के सह-लेखक जियांगबो फेंग ने कहा कि समुद्री गर्म लहरें पानी के नीचे के पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर सकती हैं।
लंदन। वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किये गये एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि पिछले 80 वर्षों में वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण दुनिया के महासागरों में अत्यधिक गर्मी का अनुभव करने वाले दिनों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 1940 के दशक में औसतन वैश्विक समुद्री सतह पर सालाना लगभग 15 दिन अत्यधिक गर्मी देखी जाती थी। इस सप्ताह जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार आज यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 50 दिन प्रति वर्ष हो गया है। समुद्री सतह पर अत्यधिक गर्मी की लहरों की घटनाओं में से लगभग आधी घटनाओं के लिए ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार है - ऐसी अवधि जब समुद्र की सतह का तापमान लंबे समय तक सामान्य से काफी ऊपर रहता है।
मेडिटेरेनियन इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग, इंटरनेशनल स्पेस साइंस इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी ऑफ द बेलिएरिक आइलैंड्स के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा तैयार किए गए इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण समुद्री सतह पर अत्यधिक गर्मी की घटनाएं लंबे समय तक बनी रहती हैं और अधिक तीव्र हो जाती हैं।
रीडिंग विश्वविद्यालय में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस में अध्ययन के सह-लेखक जियांगबो फेंग ने कहा कि समुद्री गर्म लहरें पानी के नीचे के पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर सकती हैं। असामान्य रूप से गर्म पानी की लंबी अवधि प्रवाल भित्तियों को नष्ट कर सकती है, केल्प वनों को नष्ट कर सकती है और समुद्री घास के मैदानों को नुकसान पहुंचा सकती है। समुद्री गर्म लहरों का प्रभाव समुद्र से परे तक फैला हुआ है। शोधकर्ता ने चेतावनी दी है कि समुद्री गर्म लहरों में वृद्धि, बदले में हमारे वायुमंडल को कम स्थिर बना सकती है जिससे कुछ क्षेत्रों में अधिक लगातार और शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय तूफान आ सकते हैं।
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