चीन के मुकाबले क्षेत्र में बेहतर रणनीतिक स्थिति में पहुंचा भारत, सीमा सड़क संगठन ने बना दी डोकलाम तक सड़क
बीआरओ के प्रोजेक्ट दंतक का हिस्सा है ये सड़क
सेना की गतिवधियों को बेहतर बनाने और उनकी वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सीमा सड़क संगठन लगातार काम कर रहा है
तेजपुर। सेना की गतिवधियों को बेहतर बनाने और उनकी वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सीमा सड़क संगठन लगातार काम कर रहा है। ऐसे इलाकों में पिछले वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर किया जा रहा है। भारत में यह काम लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक लगातार चल रहा है। इसी कड़ी में बीआरओ ने पड़ोसी मुल्क भूटान में डोकलाम के नजदीक तक सामरिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण सड़क बना दी है। यह वही क्षेत्र है, जहां 2017 में भारत और चीन के बीच भीषण संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई थी। बीआरओ ने जिस नई सड़क का निर्माण किया है, वह भूटान की हा वैली में है और डोकलाम से मात्र 21 किलोमीटर की दूरी पर है। इस सड़क के बन जाने से उस सेक्टर में भारत की स्थिति चीन से बेहतर हो गई है।
बीआरओ ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जिस सड़क का निर्माण किया है, वह करीब 254 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई है। इस रोड का उद्घाटन शुक्रवार को जापान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने किया है। यूं तो इस सड़क के निर्माण से भूटान के आम लोगों को आवाजाही में सुविधा होगी, लेकिन जरूरत पड़ने पर सुरक्षा बलों को भी इससे बड़ी मदद मिलेगी। यह सड़क तिब्बत की चुंबी घाटी तक जाती है, जहां चीन की सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी तैनात है। यह सड़क भूटानी सेना को चुंबी घाटी के पास बॉर्डर तक पहुंचने में सहायता करेगी। इससे उनके लिए रसद पहुंचाने में भी आसानी रहेगी। यूं तो अभी भूटान इस सड़क का लाभ उठाएगा, लेकिन अगर भविष्य में कभी आवश्यता पड़ी तो भारत को भी इसका लाभ बड़ा लाभ मिल सकता है।
भारत का मित्र राष्ट्र भूटान, भारत और चीन के बीच एक बफर स्टेट की तरह है। चीन की विस्तारवादी मानसिकता की वजह से इसे कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारत के लिए हमेशा से इस क्षेत्र में भूटान के साथ साझेदारी काफी मायने रखती है। दोनों देश सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी आदिकाल से जुड़े हुए हैं। डोकलाम भौगोलिक रूप से भारत (सिक्किम), तिब्बत (चीन) और भूटान के ट्राई-जंक्शन पर स्थित है। 2017 में चीन ने इसकी जाफेरी रिज में एक सड़क बनाने की कोशिश की थी। लेकिन, भारतीय सेना ने आॅपरेशन जुनिपर लॉन्च करके चीन के सड़क निर्माण को रोक दिया था। भारतीय सेना डोकलाम में घुसी और चीनी सैनिकों का काम बंद करा दिया। 72 घंटे तक भयंकर संघर्ष की स्थिति बनी रही और तब जाकर चीनी सैनिक पीछे हटने को मजबूर हुए।
बीआरओ के प्रोजेक्ट दंतक का हिस्सा है ये सड़क
भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में भूटान का दौरा किया था। उन्हें वहां पर हा वैली रोड के बारे में बताया गया। इस रोड पर 5 पुल बनाए गए हैं। इस सड़क पर सभी मौसमों में गाड़ियां चल सकती हैं। यह सड़क बीआरओ के प्रोजेक्ट दंतक का हिस्सा है। बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन भी भूटान गए हैं, जहां वे प्रोजेक्ट दंतक का जायजा ले रहे हैं। बीआरओ 1960 के दशक से ही भूटान में अपना योगदान दे रहा है। डोकलाम विवाद के बाद इसकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। यह वहां मुख्य रूप से सड़कों और पुलों का ही निर्माण करता है।

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