श्रीलंकाई नागरिक की याचिका खारिज : कहा-हम 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं
भारत धर्मशाला नहीं, हम हर किसी को शरण नहीं दे सकते
दरअसलए मद्रास हाईकोर्ट ने श्रीलंकाई नागरिक को यूएपीए मामले में 7 साल की सजा पूरी होते ही तुरंत भारत छोड़ देने का आदेश दिया था।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंकाई शरणार्थी से जुड़े एक मामले में सोमवार को कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। दुनियाभर से आए शरणार्थियों को भारत में शरण क्यों दें? हम 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। हम हर जगह से आए शरणार्थियों को शरण नहीं दे सकते। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने यह टिप्पणी श्रीलंकाई तमिल नागरिक की शरण याचिका खारिज करते हुए की। दरअसलए मद्रास हाईकोर्ट ने श्रीलंकाई नागरिक को यूएपीए मामले में 7 साल की सजा पूरी होते ही तुरंत भारत छोड़ देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
क्या है मामला
एक श्रीलंकाई तमिल नागरिक को 2015 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम से जुड़े होने के शक में तमिलनाडु पुलिस ने दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम पहले श्रीलंका में सक्रिय एक आतंकी संगठन था। 2018 में एक निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। 2022 में मद्रास हाई कोर्ट ने सजा को सात साल कर दिया और कहा कि सजा पूरी होने के बाद उसे देश छोड़ना होगा और निर्वासन से पहले शरणार्थी कैंप में रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह को लगाई फटकार
जांच के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी पर भाजपा नेता एवं मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की ओर से की गई ‘अपमानजनक’ टिप्पणियों के लिए उन्हें फटकार लगाई और जांच के लिए प्रदेश कैडर के तीन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का सोमवार को आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने अपने आदेश में पुलिस महानिदेशक को मंगलवार तक एसआईटी गठित करने का आदेश देते हुए कहा कि इस बीच आरोपी शाह को गिरफ्तार नहीं किया जाए। शीर्ष अदालत ने आरोपी मंत्री शाह को जांच में सहयोग देने का भी आदेश दिया।
यह एक ‘लिटमस टेस्ट’ है
पीठ अपने आदेश में कहा कि हम तीन आईपीएस अधिकारियों वाली एक एसआईटी गठित कर रहे हैं। उनमें से एक आईजी या डीजीपी स्तर का अधिकारी होना चाहिए। वे सभी राज्य से बाहर के होने चाहिए। यह एक ‘लिटमस टेस्ट’ है। हम चाहते हैं कि राज्य एसआईटी रिपोर्ट हमें सौंपे। हम इस पर कड़ी नजर रखना चाहेंगे।
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