तेजस्वी यादव ने लगाया आरोप : विजय सिन्हा के नाम 2 एपिक नम्बर, कहा- चुनाव आयोग दें जवाब
आयोग से इस सम्बंध में कार्रवाई की मांग की
उनके बदले में प्रपत्र पर हस्ताश्रर किसने किया है। अगर हस्ताश्रर फर्जी है, तो पूरी एसआईआर प्रक्रिया संदेह के दायरे में आती है और उसे रद्द किया जाना चाहिए।
पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा का नाम बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण(एस आईआर) के बाद जारी ड्राफ्ट सूची में दो जगहों पर दर्ज है और उन्होंने चुनाव आयोग से इस सम्बंध में कार्रवाई की मांग की। यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने एसआईआर के बाद इस महीने के शुरू में जो ड्राफ्ट सूची जारी की है, उसमे सिन्हा का नाम दो जगहों लखीसराय और बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में अंकित है। उन्होंने कहा कि एसआईआर के पहले और बाद दोनों ही स्थिति में सिन्हा दो जिलो में मतदाता है और उनके नाम से दो एपिक जारी किया गया है। इतना ही नही दोनो जगहों पर उनकी उम्र भी अलग अलग लिखी गयी है। यादव ने सवाल किया कि क्या बिहार के उपमुख्यमंत्री ने बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) से मिल कर दो जगहों पर 2 मतदाता प्रपत्रों में हस्ताश्रर किया है। अगर यह सच है, तो चुनाव आयोग उनको नोटिस भेज कर कानूनी कार्रवाई करे और अगर सिन्हा ने हस्ताश्रर नही किया है, तो फिर उनके बदले में प्रपत्र पर हस्ताश्रर किसने किया है। अगर हस्ताश्रर फर्जी है, तो पूरी एसआईआर प्रक्रिया संदेह के दायरे में आती है और उसे रद्द किया जाना चाहिए।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के पहले से ही श्री सिन्हा का नाम दो जिलो लखीसराय और पटना की मतदाता सूची में शामिल है, तो इस बात की जांच हो कि क्या उपमुख्यमंत्री दो जगहों पर मतदान करते थे। यादव ने कहा कि दो जगहों पर मेरा नाम आते ही मेरे जवाब से पहले ही मेरे खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू हो गया और मुझे जेल भेजने की भी बात कही गयी। चुनाव आयोग का नोटिस मुझे स्पीड पोस्ट से मिला और मैने उसी दिन उसका जवाब भेज दिया था। अब मुझे पूछना है कि क्या चुनाव आयोग वैसा ही नोटिस सिन्हा को भेजेगा और गलत पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई करेगा। दूसरी तरफ अगर सिंह ने प्रपत्र पर दस्तखत नही किये हैं, तो चुनाव आयोग अपनी गलती मान कर इस प्रक्रिया को रद्द करेगा।

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