राज्यों को उनके अधिकारों से वंचित करती है भाजपा : अपनी गुप्त मंशा को लागू करने की चाल है परिसीमन, स्टालिन ने कहा- राज्य नहीं दें इसकी अनुमति
अभूतपूर्व एकता के साथ काम कर रहा है
किसी भी राज्य को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस खतरे को समझते हुए तमिलनाडु अभूतपूर्व एकता के साथ काम कर रहा है।
चेन्नई। द्रविड़ मुनेत्र कषगम् (द्रमुक) अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि मौजूदा जनसंख्या के आधार पर प्रस्तावित परिसीमन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की अपनी गुप्त मंशा को लागू करने की चाल है और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों, एक उपमुख्यमंत्री और 20 से अधिक राजनीतिक दलों के नेताओं की मौजूदगी में पहली संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की बैठक को संबोधित करते हुए स्टालिन ने कहा कि भाजपा हमेशा से ऐसी पार्टी रही है, जो राज्यों को उनके अधिकारों से वंचित करती है। उन्होंने कहा कि वह(भाजपा) परिसीमन योजना में अपनी गुप्त मंशा को लागू करना चाहती है। किसी भी राज्य को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस खतरे को समझते हुए तमिलनाडु अभूतपूर्व एकता के साथ काम कर रहा है।
हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं। हम निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं। यह संघर्ष हमारी एक दिन की बैठक - विचार-विमर्श - और प्रस्ताव पारित करने से खत्म नहीं होगा। अधिकारों की स्थापना के लिए निरंतर कार्रवाई करना बहुत जरुरी है। लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए यह संयुक्त कार्रवाई बहुत जरूरी है। केंद्र सरकार से आग्रह करने और लोगों को इस तथ्य से अवगत कराने के लिए उन्होंने नेताओं से सुझाव मांगे कि हम सब अपने राजनीतिक विरोध को कानूनी तरीके से कैसे संचालित करें। स्टालिन ने यह भी कहा कि उन्होंने राजनीतिक और कानूनी उपायों को परिभाषित करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि मैं सभी से समग्र प्रस्ताव पर अपने विचार साझा करने का अनुरोध करता हूं। हम तभी जीत सकते हैं जब सभी एकता की भावना के साथ मिलकर लड़ें। हम इस दृढ़ संकल्प के साथ लड़ेंगे कि किसी भी परिस्थिति में हमारा प्रतिनिधित्व कम नहीं होना चाहिए और हमें इसे कम नहीं होने देना चाहिए। हम तब तक एक साथ लड़ेंगे जब तक निष्पक्ष परिसीमन हासिल नहीं कर लेते।
विभिन्न राज्यों से एक साथ आकर इस पहल में शामिल होने वाले सभी लोगों का धन्यवाद करते हुए स्टालिन ने कहा कि देश का प्रत्येक राज्य हर तरह से अनूठा है क्योंकि भारत में अलग-अलग भाषाएँ, नस्लें, धार्मिक विश्वास, संस्कृतियाँ, कपड़े, भोजन और रीति-रिवाज हैं। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय संविधान बनाने वाले प्रतिभाशाली लोगों ने भारत को एक संघीय संघ के रूप में संरचित किया और भारत में सच्चा संघवाद तभी कायम हो सकता है जब ऐसे राज्य स्वायत्तता के साथ काम करें, हालांकि इस संघीय प्रकृति को विभिन्न समय पर कई परीक्षणों से गुजरना पड़ा है, लेकिन लोकतांत्रिक संगठनों और आंदोलनों ने इसकी रक्षा की है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी परीक्षा और खतरा अब आया है। इसी अहसास के साथ हम सभी एकत्र हुए हैं। मेरे लिए, यह दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होने जा रहा है।
स्टालिन ने कहा कि अगली जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का आगामी या भविष्य में होने वाला जनसंख्या आधारित परिसीमन कुछ राज्यों को बहुत प्रभावित करेगा। विभिन्न सामाजिक पहलों और प्रगतिशील कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जनसंख्या को नियंत्रित करने वाले तमिलनाडु जैसे राज्य इससे अपना संसदीय प्रतिनिधित्व काफी हद तक खो देंगे। उन्होंने कहा कि हम इस मोड़ पर हैं, जहाँ हमें इसका दृढ़ता से विरोध करना होगा। हम सभी को पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहिए कि वर्तमान जनसंख्या के आधार पर परिसीमन को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
यह कदम ऐसे राज्यों को दंडित करने वाला है और जनप्रतिनिधियों की संख्या कम करके उनकी आवाज दबा दी जायेगी। दो साल से मणिपुर जल रहा है, लेकिन न्याय के लिए उनकी आवाज को अनदेखा किया जा रहा है - क्योंकि उनके पास देश का ध्यान आकर्षित करने के लिए राजनीतिक ताकत नहीं है। उन्होंने कहा कि इसलिए संसदीय सीटों की संख्या में कमी या हमारे प्रतिनिधित्व में कमी से निश्चित रूप से हमारी राजनीतिक ताकत में कमी आएगी। यह केवल संख्या के बारे में नहीं है। यह हमारी शक्ति, हमारे अधिकारों और हमारे भविष्य के हितों से जुड़ा है।
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