पहलवानों ने पदक गंगा में नहीं किए विसर्जित टिकैत को सौंपे, 5 दिन का दिया अल्टीमेटम

गंगा समिति ने किया विरोध, पदक विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे थे पहलवान

पहलवानों ने पदक गंगा में नहीं किए विसर्जित टिकैत को सौंपे, 5 दिन का दिया अल्टीमेटम

इससे पहले पहलवानों ने ट्टवीट किया, इन पदकों को जीतने के लिए हमारी कड़ी मेहनत भी उतनी ही गंभीर थी। ये राष्ट्र के लिए अमूल्य हैं और इन पदकों के लिए सबसे अच्छी जगह इस अशुद्ध व्यवस्था के बजाय शुद्ध गंगा में है।

नई दिल्ली/हरिद्वार। कुश्ती संघ के अध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे ओलंपिक मेडलिस्ट बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और राष्ट्रमंडल खेल मेडलिस्ट विनेश फोगाट ने आत्म-सम्मान के बिना जीवन को व्यर्थ बताते हुए मंगलवार को कहा कि वे अपने-अपने पदक गंगा में विसर्जित कर देंगे। ये पहलवान अपने पदकों को लेकर मंगलवार को हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पहुंचे। इस बीच गंगा समिति कहा कि हर की पौड़ी पूजा-पाठ का स्थान है, राजनीति का नहीं। इस बीच किसान नेता नरेश टिकैत पहलवानों को मनाने हर की पौड़ी पहुंचे और उनसे बात की। बातचीत के बाद पहलवानों ने अपने मेडल टिकैत को सौंप दिए। किसान नेता टिकैत ने सरकार को बृजभूषण पर कार्रवाई के लिए पांच दिन का अल्टीमेटम दिया। इससे पहले पहलवानों ने ट्टवीट किया, इन पदकों को जीतने के लिए हमारी कड़ी मेहनत भी उतनी ही गंभीर थी। ये राष्ट्र के लिए अमूल्य हैं और इन पदकों के लिए सबसे अच्छी जगह इस अशुद्ध व्यवस्था के बजाय शुद्ध गंगा में है।

पहलवानों ने संयुक्त बयान में कहा कि आपने देखा कि 28 मई को क्या हुआ, पुलिस ने कैसा व्यवहार किया और कितनी बेरहमी से हमें गिरफ्तार किया। हम शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे लेकिन उन्होंने हमारे विरोध स्थल को छीन लिया और गंभीर अपराधों के तहत हमारे खिलाफ मामला दर्ज किया। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर गलती की? पुलिस और अधिकारी हमारे साथ अपराधियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं जबकि असली अपराधी खुले में घूम रहा है।

अब लगा पदक क्यों जीते
पहलवानों ने पदक जीतने की अपनी मेहनत पर कहा कि हमें याद है जब हमने इस देश के लिए ओलंपिक और विश्व स्तर पर पदक जीते थे। अब लग रहा है कि हमने यह पदक क्यों जीते थे? क्या हम इसलिए जीते थे कि अधिकारी हमारे साथ इतना बुरा बर्ताव कर सकें और फिर हमें गलत ठहरा सकें? 

पीएम-राष्ट्रपति को नहीं लौटाएंगे
उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पदक लौटाने पर विचार कर रहे थे, लेकिन उनकी व्यथा पर दोनों नेताओं की खामोशी के कारण वे ऐसा नहीं करेंगे। 
 

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