जानें राज काज में क्या है खास
चर्चा डीप इनसाइड की
सूबे में होने वाले उप चुनाव के नतीजे तो पता नहीं क्या होंगे, लेकिन नेताओं की पॉलिसी को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं।
उप चुनाव और अफवाहें :
सूबे में होने वाले उप चुनाव के नतीजे तो पता नहीं क्या होंगे, लेकिन नेताओं की पॉलिसी को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं। अफवाह फैलाने वाले भी और कोई नहीं बल्कि दोनों दलों के हार्ड कोर वर्कर हैं। अब देखो न, भगवा वालों के ठिकाने के साथ ही भारती भवन में चिंतन-मंथन में चूरू वाले भाई साहब का नाम आए बिना नहीं रहता। भाई साहब भी कम योग्य नहीं हैं, अब तक हुए कई चुनावों में प्रभारी का रोल निभा चुके हैं। लेकिन भाई साहब को इस बार उप चुनावों में कोसों दूर रखा गया है। ठिकाने पर चर्चा है कि बड़े नेता अपनी पार्टी की जीत को पक्का मानकर एक रणनीति के तहत भाई साहब के पैर काटने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे।
चर्चा डीप इनसाइड की :
सूबे में इन दिनों डीप इनसाइडर की चर्चा जोरों पर है। इससे सरदार पटेल मार्ग पर बंगला नंबर 51 में बने भगवा के ठिकाने के साथ ही इंदिरा गांधी भवन में पीसीसी चीफ का दफ्तर भी अछूता नहीं है। राज के काम करने वाले भी लंच टाइम में डीप इनसाइडर को लेकर फुसफुसाहट करते हैं। डीप इनसाइडर अटारी वाले भाई साहब से ताल्लुक रखता है। भाई साहब ने सरकार के एक प्रयास के तौर पर जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की तो सामने वालों ने भी मीडियाविहीनता में भी नहीं छोड़ा। और तो और राज के काम करने वालों ने भी हल्ला मचा दिया। लांग्स शेखावटी के बाद मेवाड़, मारवाड़ और हाड़ौती में जो ग्राउंड रियलिटी बनी, उसे राज के सामने पेश करने वालों के चेहरे भी शर्म से झुका गए। अब ब्यूरोक्रेट्स की कौन सी समस्या की भजन जी ने ग्राउंड रियलिटी जानने को ठान ही ली, तो कागजी घोड़े दौड़ने से कोई फायदा नहीं है।
असर बुध का :
कभी-कभी शनि के साथ बुध भी अपना खास असर दिखाता है। उसके असर की लपेट में आने वालों को गुरु और मंगल भी नहीं बचा सकते। कुछ ऐसा ही बुध का असर इन दिनों सूबे के खादी और खाकी वालों पर कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा है। असर को कम करने के लिए खादी के साथ खाकी वालों ने यज्ञ में आहुतियां देने के साथ ही मंत्र का जाप भी कर लिया, लेकिन पार नहीं पड़ी। आज और भविष्य में बुध से कुर्सी नहीं संभालने की कसमें खा लीं। बुध का असर तीन महीने बाद भी कम नहीं हुआ। अब सलाह यह है कि बुध के असर से खाकी में होने वाले कोल्ड वार को कम करने के लिए पूजा के सिवाय कोई चारा ही नहीं है।
एक जुमला जोरों पर :
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि भक्ति को लेकर है। जुमला है कि भक्ति की चर्चा आदिकाल से होती आ रही है, लेकिन कुछ सालों से इसकी चर्चा जोरों पर है। इसकी चर्चा हमारे सूबे में इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने के साथ सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बन भगवा वालों के दफ्तर में भी हुए बिना नहीं रहती। चर्चा है कि इन दिनों नेताओं की भक्ति को भी पब्लिक में दिखाने के लिए कई एजेंसियां दिन-रात एक कर रही हैं। राज का काज करने वाले भी लंच केबिनों में खुसरफुसर करते हैं कि राजा की भक्ति सार्वजनिक नहीं, बल्कि गुप्त रहती है, लेकिन मामला उलटा है। इस जुमले को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
-एल. एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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