जानें राज काज में क्या है खास
परेशानी राज के रत्नों की
सूबे में ब्यूरोक्रेसी में रिसफलिंग के बाद भी चर्चों का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा।
अब चर्चा में कोल्ड वार :
सूबे में ब्यूरोक्रेसी में रिसफलिंग के बाद भी चर्चों का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा। सचिवालय के हर कोने पर कोई न कोई ब्यूरोक्रेट कानाफूसी करते नजर आता है। सारे ब्यूरोक्रेट्स रिसफलिंग को लेकर अपने-अपने हिसाब से मायने निकाल रहे हैं। किसको कितना लाभ हुआ, इसके लिए दिन रात जोड़-बाकी और गुणा-भाग में लगे हैं। बिना गुट के राज का काज करने वाले साहब लोग लंच केबिनों में बतियाते हैं कि जो भी कुछ हुआ, उसका पब्लिक में ठीक मैसेज नहीं है। कोई भी अफसर प्रमोषन पर दिल से काम करता है, डिमोशन पर नहीं। सीनियर भी ब्रेक करने पर काम नहीं करता। साहब लोगों की माने तो रिसफलिंग में जो कुछ हुआ, उससे षुभ संकेत नहीं बल्कि कोल्ड वार होने के चांज कुछ ज्यादा ही है। अब दिल्ली से चार्ज होकर आए नए साहब को देखना है कि बिना माहौल के कैसे राज का काज निपटाना है।
परेशानी राज के रत्नों की :
ब्यूरोक्रेसी में बदलाव के बाद अब बारी राज के रत्नों की है। यही सोच कर राज के कई रत्नों का दिन का चैन और रातों की नींद उडी हुई है। रिपोर्ट कार्ड की चचार्ओं के बीच वे बेचारे दूबले होते जा रहे हैं और उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें भी साफ दिखाई देने लगी है। रही सही कसर पंडित लोग पूरी कर रहे हैं, जो बिना पूछे ही पंचांग खोल कर बोलना चालू कर देते है। वे ना तो स्थान देखते हैं और नहीं समय। अब देखो ना, सालों से मंत्रालय भवन में चक्कर लगाने वाले पंडितजी ने जब से मुंह खोला है कि 28 नवम्बर से शनि वक्री से मार्गी होगा, तो अपनी चाल बदलेगा और कई बडे बदलाव भी होंगे, अब बेचारे राज के रत्नों के यह समझ में नहीं आ रहा कि शनि किसके लिए मार्गी होगा।
ब्लैक पेपर और वर्कर्स :
इंदिरा गांधी भवन में हाथ वालों के ठिकाने पर आने वाले हार्ड कोर वर्कर्स ब्लैक पेपर को लेकर काफी खुसरफुसर है। तीन गुटों में बंटे हाथ वालों के एक गुट की मंशा है कि राज के साल पूरे होने पर ब्लैक पेपर जारी कर पब्लिक को असलियत से रुबरु कराने के लिए बडा प्रोग्राम करने में भलाई है। वर्कर्स के तर्क में दम भी चूंकि 15 साल पहले भगवा वालों ने ब्लैक पेपर जारी कर हाथ वालों की एक साल वाली सरकार को हिला कर रख दिया था। राज का काज करने वालों की मानें तो हार्ड कोर वर्कर्स की बात में दम है, लेकिन हाथ वालों का बडा गुट कुछ करना ही नहीं चाहता।
एक जुमला यह भी :
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि राज के रत्नों के सेक्रेटरीज को बार-बार बदलने को लेकर है। इंपोर्टेंट महकमें संभाल रहे रत्नों ने तो दो साल में चार-चार सेक्रेटरी बदल दिए। जुमला है कि राज के रत्नों की अपने सेक्रेटरी से पटरी नहीं बैठने के पीछे कोई ना कोई राज है, वरना सभी सेक्रेटरी तो खराब नहीं है। अब इस जुमले को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
-एल. एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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