राजरण-2023 : निवाई विधानसभा क्षेत्र के दिलचस्प तथ्य
जीत का सर्वाधिक अन्तर 2018 के चुनाव में रहा, जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी प्रशान्त बैरवा ने भाजपा प्रत्याशी रामसहाय वर्मा को 43889 वोटों से हराया।
निवाई विधानसभा क्षेत्र हमेशा 1962 से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट रही है। 1962 से लेकर 2018 तक निवाई विधानसभा क्षेत्र में 14 बार चुनाव और उप चुनाव हुए हैं। 1991 के विधानसभा उप चुनाव में सबसे कम मार्जिन से नतीजा निकला था, जब भाजपा के प्रत्याशी कैलाश मेघवाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी द्वारका प्रसाद बैरवा को बहुत मामूली अंतर 206 वोट से हराया था। मेघवाल को 34057 वोट तथा द्वारका प्रसाद को 33851 वोट मिले थे।
जीत का सर्वाधिक अन्तर 2018 के चुनाव में रहा, जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी प्रशान्त बैरवा ने भाजपा प्रत्याशी रामसहाय वर्मा को 43889 वोटों से हराया। प्रशान्त को 105784 वोट मिले और रामसहाय को महज 43889 वोट ही मिले। कांग्रेस के बनवारी लाल बैरवा निवाई से तीन बार 1972, 1993 व 1998 में विधायक रहे। स्वतंत्र पार्टी/ जनता पार्टी के जयनारायण सालोदिया भी तीन बार 1962, 1967 व 1977 में विधायक बने। भाजपा के हीरालाल रैगर दो बार 2003 व 2013 में विधायक रहे। 1980 में कांग्रेस से द्वारका प्रसाद बैरवा, 1985 में भाजपा के ग्यारसी लाल परीडवाल, 1990 में भाजपा के रामनारायण बैरवा, 1991 के उप चुनाव में भाजपा के कैलाश मेघवाल, 2008 में कांग्रेस के कमल बैरवा तथा 2018 में कांग्रेस के प्रशान्त बैरवा एक- एक विधायक बनने में कामयाब हुए।
कांग्रेस के बनवारी लाल बैरवा ही ऐसे एकमात्र विधायक रहे, जो एक ही पार्टी से तीन बार विधायक निर्वाचित हुए।बनवारी लाल के अलावा कोई भी नेता ऐसा करिश्मा नहीं कर सका है। अब तक संपन्न 14 चुनावों में बैरवा क्षत्रपों ने 7 बार, रैगर क्षत्रपों ने 5 बार, मेघवाल क्षत्रप ने 1 बार और खटीक क्षत्रप ने निवाई सीट से जीत का परचम लहराया है। अब तक हुए सभी चुनावों में 6 बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा, 2 बार स्वतन्त्र पार्टी तथा 1 बार जनता पार्टी ने जीत हासिल की है। संयोगवश इस सीट से जीत हासिल कर पिता- पुत्र तथा चाचा-भतीजे विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं।

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