''वंदे मातरम'' पर पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला, कहा-कांग्रेस ने किया विश्वासघात, आजादी का प्रेरणास्रोत भारत का भी है विजन

वंदे मातरम् पर संसद में पीएम मोदी का तीखा हमला

''वंदे मातरम'' पर पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला, कहा-कांग्रेस ने किया विश्वासघात, आजादी का प्रेरणास्रोत भारत का भी है विजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर लोकसभा में कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा था। पीएम मोदी ने वंदे मातरम् को देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय ऊर्जा का प्रतीक बताया।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर वंदे मातरम के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस  वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकी और मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष पर हमला बोला, उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आजादी के दीवानों का मंत्र बने 'वंदे मातरम्' गीत की गूंज ने न सिर्फ अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी बल्कि पूरे भारत में उत्साह का ऐसा माहौल तैयार किया था जो न सिर्फ स्वतंत्रता का मंत्र बना बल्कि आजाद भारत के लिए भी विजन बनकर सामने आया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् गीत के 150वें वर्ष पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह गीत आजादी का उद्गार बन गया था और हर देशवासी इस गीत से प्रेरित होकर अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ रहा था। इस गीत से देश में बने नये माहौल को देखकर अंग्रेज बौखला गये थे इसलिए उन्होंने इस गीत पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे गाने को अपराध मानकर लोगों पर जुल्म ढहाने शुरु कर दिए थे। 

इसके आगे उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् का एक ऐसा कालखंड रहा है, जिसमें इतिहास के कई प्रेरक उदाहरण देश के सामने मौजूद है। वंदे मातरम् के जब सौ साल पूरे हो गये थे, तो उस समय इसकी शताब्दी का उत्तम पर्व मनाया जाना था, लेकिन तब देश को आपातकाल में धकेल दिया गया था और देश के नागरिकों का गला घोंटा जा रहा था। देश की आजादी के आंदोलन को ऊजा देने वाले वंदे मातरम् के सौ साल पूरे होने के समय देश को आपाताकाल के काले कालखंड में धकेल दिया गया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वंदे मातरम् पर चर्चा में कोई पक्ष और प्रतिपक्ष नहीं है क्योंकि इसी गीत से मिली प्रेरणा के कारण हम सब यहां बैठे हैँ और यह हम सबके लिए पावन पर्व है। वंदे मातरम् की भावना के साथ देश की आजादी की लड़ाई लड़ी गयी और इस गीत के भाव में आजादी के दीवाने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् गीत ऐसे समय लिखा गया था जब अंग्रेज सल्तनत 1857 की क्रांति से बौखलाई थी और देश की महान विभूतियों को मजबूर किया जा रहा था। जब चारों तरफ वंदे मातरम़ की आवाज गूंज रही थी, देश को गुलाम बनाए रखने के लिए बड़ा षडयंत्र चल रहा था तो उस स्थिति को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय चुनौती दे रहे थे। 

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उन्होंने 1882 में 'आनंदमठ' उपन्यास की रचना की तो देश में आजादी की अलख जगा रहा वंदे मातरम् गीत इसमें रखा गया। देश के लोगों में जो भाव था, जो संस्कृति थी उसे वंदे मातरम् गीत के जरिए देश को बहुत बड़ी सौगात दी गई। वंदे मातरम् केवल आजादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था, मात्र अंग्रेजों को भगाने का मंत्र नहीं था बल्कि यह इस भूमि को बेड़ियों से मुक्ति दिलाने की एक पवित्र जंग भी थी। इसके आगे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वंदे मातरम् देश की प्राचीन पृष्ठभूमि और सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक अवतार है। बंकिमदा ने जब वंदे मातरम् की रचना की थी तो यह गीत स्वाभाविक रूप से आजादी की लड़ाई का स्वर बना और पूरे देश के आजादी के योद्धाओं को मुग्ध करने का मंत्र बन गया। 

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वंदे मातरम् हजारों वर्ष की सांस्कृतिक ऊर्जा थी, इसमें आजादी का जज्बा भी था और आजाद भारत की दृष्टि भी थी। इस गीत के हर शब्द देशवासियों को हौसला देने वाले थे। उसमें संदेश दिया गया था कि लड़ाई जमीन हथियाने की नहीं और सिर्फ आजादी पाने की नहीं है बल्कि यह देश की समृद्धि का भी संकल्प है। इस गीत का सिर्फ जन जन से जुड़ाव नहीं रहा है बल्कि यह गीत हमारी आजादी की लंबी गाथा की अभिव्यक्ति भी है।

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पीएम मोदी ने कहा, वंदे मातरम् जनजीवन की धारा प्रवाह यात्रा का नाम है और इस गीत के सामने आने के बाद से अंग्रेज समझ गये थे कि अब भारत में रहना आसान नहीं है इसलिए उन्होंने देश को टुकड़ों में बांटने की चाल चली और 'बांटो तथा राज करो' की नीति को चुना। बंगाल के विभाजन को इसकी प्रयोगशाला बनाया गया। बंगाल की बौद्धिक शक्ति तब पूरे देश को ताकत देती थी। बंगाल पूरे देश को प्रभावित करता था। अंग्रेजों का मानना था कि अगर बंगाल को तोड़ दिया तो देश में आसानी से राज किया जा सकता है और 1905 में उन्होंने बंगाल विभाजन का पाप किया तो वंदे मातरम् बंगाल की एकता के लिए चट्टान की तरह खड़ा रहा। गली गली में इस गीत की गूंज सुनाई दे रही थी। वंदे मातरम् देश के लिए चट्टान और अंग्रेजों के लिए संकट बन गया था।

पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेज समझ गये थे कि बंगाल से निकला वंदे मातरम् का भाव पूरे देश में जिस भाव के साथ फैल गया है, उससे देश में आजादी के वेग को रोकना आसान नहीं है, इसलिए उन्होंने वंदे मातरम् बोलने पर भी सजा का प्रावधान कर दिया। इस गीत को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया। इसके बावजूद वंदे मातरम् गीत गाते हुए प्रभात फेरियां बंगाल की गली गली में निकलती थी और बंगाल की गलियों से निकली यह आवाज पूरे देश की आवाज बन गई थी। छोटे छोटे बच्चों को वंदे मातरम् गाने पर उनके साथ जुल्म किया गया। बच्चों ने वंदे मातरम् मंत्र को अपनी ताकत सिद्ध कर दिया था। जांबाज वंदे मातरम् जय घोष के साथ फांसी पर चढ़ गये। 

पीएम मोदी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर लोकसभा में सोमवार को चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि वंदे मातरम के प्रति मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज होती जा रही थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने पंद्रह अक्टूबर 1937 को लखनऊ में वंदेमातरम के विरोध का नारा बुलंद किया तब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू को अपना ङ्क्षसहासन डोलता दिखा। जवाहर लाल नेहरू ने ऐसे समय मुस्लिम लीग को जवाब देने और कांग्रेस की वंदे मातरम में निष्ठा को प्रकट करने के बजाय वंदे मातरम की ही पड़ताल शुरु कर दी। 

इसके आगे पीएम मोदी ने कहा, विरोध के पांच दिन बाद बीस अक्टूबर को जवाहर लाल नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को चिट्टी लिखी और इसमें उन्होंने जिन्ना की भावना से अपनी सहमति जतायी जिसमें कहा गया कि यह गीत मुस्लमानों की भावनाओं को ठेस पहंचा सकता है। उन्होंने कहा सुभाष चन्द्र बोस को जो पत्र लिखा गया उसमें जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि मैंने वंदे मातरम का बैकग्राउंड पढा है और मुझे लगता है इससे मुस्लिम भड़केंगे। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्टूबर से कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में वंदेमातरम की समीक्षा होगी। इससे पूरा देश हैरान था। पूरे देश में इसके विरोध में प्रभात फेरियां निकाली। दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने वंदेमातरम पर समझौता कर लिया। वंदे मातरम के टुकड़े कर दिये।। कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिये।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकी, इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां आज भी वैसे ही है। आज भी कांग्रेस और उनके सहयोगी वंदेमातरम पर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। पीएम मोदी ने कहा, वंदेमातरम पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भावना क्या थी वह भी सदन के समक्ष रखना चाहता हूं। उस समय दक्षिण अफ्रीका से इंडियन ओपिनियन नाम की एक पत्रिका निकलती थी जिसमें दो दिसंबर 1905 में महात्मा गांधी ने लिखा था यह गीत वंदेमातरम जिसे बंकिम चंद्र ने रचा है, पूरे बंगाल में अत्यंत लोकप्रिय हो गया है। 

स्वदेशी आदोलन के पक्ष में विशाल सभायें हुई जहां लाखों लोगों ने ये गीत गाया। उन्होंने लिखा कि यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया जैसे ये हमारा राष्ट्रीय गान बन गया है। यह अन्य राष्ट्रों की गीतों से मधुर है। यह भारत को मां के रूप में देखता है और उसकी स्तुति करता है। उन्होंने कहा कि जो वंदे मातरम् महात्मा गांधी को राष्ट्रीय गान के रूप में दिखता था। यह गीत इतना महान था तो पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ। इसके साथ विश्वासघात क्यों हुआ। कौन सी ताकत थी जिसकी इच्छा पूज्य बापू पर भी भारी पड़ गयी और वंदे मातरम को विवादों में घसीट दिया। हमें उन परिस्थितियों को नई पीढी को बताना जरूर है आखिर क्यों वंदे मातरम के साथ विश्वासघात किया गया।

उन्होंने कहा कि वंदेमातरम ने देश को हिम्मत दी थी। बंगाल की गलियों से निकली आवाज देश की आवाज बन गयी थी। उन्होंने कहा कि  हमारे जांबाजों सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्ते पर चढते थे और आखिरी समय में वंदेमातरम का उदघोष करते थे। उन्होंने कहा कि अनगिनत वीर सपूतों ने जुल्म सहा लेकिन एक ही नारा था एक भारत श्रेष्ठ भारत। उन्होंने कहा कि मास्टर सूर्यसेन को जब फांसी दी गयी तब उन्होंने अपने साथियों को एक पत्र लिखा था जिसमें एक ही गूंज थी वंदे मातरम।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में कोई एक ऐसा भाव गीत नहीं हो सकता है जो सदियों तक प्रेरित करता हो लेकिन वंदेमातरम आज भी हमें प्रेरित कर रहा है। इसमें हमारी स्वतंत्रता, बलिदान, उर्जा, समर्पण और त्याग का मंत्र था। इस गीत की लोकप्रियता ने उसी कालखंड में वंदे मातरम की रिकार्डिंग दुनिया में पहुंचा दिया। उस समय लंदन के इंडिया हाउस में वीर सावरकर ने यह गीत गाया। उसी समय विपिन चंद्र पाल ने अखबार निकला जिसका नाम भी वंदेमातरम रखा। डगर डगर पर अंग्रेजों का नींद हराम करने के लिए वंदेमातरम काफी था। मैडम भीकाजी कामा ने भी वंदेमातरम अखबार निकाला। वंदेमातरम ने भारत को स्वाबलंबन का रास्ता दिखाया। उस समय माचिस की डिबिया से लेकर जहाज पर वंदेमातरम लिखा जाता था। यह स्वदेशी का मंत्र बन गया था।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती ने वंदे मातरम को तमिल में लिखा था। उनके कई गीतों में वंदेमातरम की श्रद्धा नजर आती है। भारत का ध्वजगीत भी श्री भारती ने ही लिखा था। उन्होंने कहा कि जब संकटों का कालखंड होता है तभी पता चलता है हम कितने सशक्त है। 1947 के बाद देश की चुनौतियां बदली लेकिन देश की जीवटता वही रहा। जब भी संकट आया भारत वंदेमातरम के साथ आगे बढा। एक जमाना था जब देश में खाद्य का संकट आया तब किसानों ने अन्न से भर दिया। कोराना संकट में भी यह भाव से देश खड़ा हुआ और आगे बढ गया। वंदेमातरम हमारे लिए सिर्फ स्मरण के लिए नहीं बल्कि उर्जा बन जाये। हम लोगों के ऊपर वंदे मातरम का कर्ज है। भारत के पास हर चुनौतियों को पार करने की ताकत है। यह हमारे लिए प्रेरणा है। हम आत्म निर्भर भारत का सपना लेकर चल रहे है। 

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