हरी व हर का मिलन ही श्रावण व अधिक मास

ख्याति प्राप्त कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा की श्री ब्रह्मा शिव महापुराण कथा का शुभारंभ: कथा स्थल श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के जयकारों से गूंजा

हरी व हर का मिलन ही श्रावण व अधिक मास

शिव पुराण कथा कहती है कि जल ही शिव का स्वरूप है। उन्होंने जल को बचाने के लिए सभी भक्तों को पौधेरोपण करने को कहा। महाराज ने कहा कि शिव महापुराण कथा कहती है कि झूठ नहीं बोलना चाहिए।

पुष्कर। तीर्थनगरी पुष्कर में विश्व की पहली श्री ब्रह्मा शिव महापुराण कथा का शुभारंभ बुधवार को हुआ। अंतर्राष्टÑीय ख्याति प्राप्त कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) ने सात दिवसीय कथा के प्रथम दिवस जगत पिता ब्रह्माजी की उत्पत्ति एवं तीर्थगुरु पुष्कर राज का महत्व बताया। सावन माह के मौके पर पुष्कर के मेला मैदान में आयोजित कथा में भीषण गर्मी व उमस के बीच 50 हजार से अधिक शिवभक्तों ने कथा का रसपान किया। महाराज ने कहा कि सौभाग्यशाली है जो तीर्थनगरी में शिव महापुराण कथा सुनने का अवसर मिला है। इस मौके पर पूरा कथा स्थल श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के उद्घोष से गूंज उठा।

अंतर्राष्टÑीय वैश्य महासम्मेलन अजमेर के सानिध्य में चन्द्रकांता-कैलाशचंद, मोनिका-राकेश, कीर्ति-अमितकुमार गुप्ता खण्डेलवाल परिवार की ओर से आयोजित कथा का विधिवत शुभारंभ बुधवार को गणपति वंदना के साथ हुआ। इसके बाद करीब 1.15 बजे कथा व्यास पं. प्रदीप मिश्रा कथा स्थल पर पहुंचे और उन्होंने भगवान लड्डूगोपाल की पूजा व माल्यार्पण किया। तत्पश्चात शिवपुराण कथा पुराण की पूजा व नमन कर व्यास पीठ की गद्दी पर विराजमान हुए। तथा गणपति सहित देवताओं की जयकार करते हुए अपनी समुधुर वाणी से ऊं नम: शिवाय भजन की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर हर महादेव, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं, एक लोटा जल सभी समस्या का हल आदि का उच्चारण कर कथा शुरू की। उन्होंने कहा कि शिव कथा भगवान शंकर का संवाद है, भगवान शिव की कथा है उसमें 24 हजार श्लोकों का अपार समुद्र है। अगर आपने शिवमहापुराण की कथा का 1 क्षण भी इस श्रावण मास में पुष्कर राज की भूमि, ब्राह्मणों की धरा व ब्रह्मा जी का निवास ऐसी पवित्र भूमि पर कथा सुनने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने श्रोताओं से एक बार पुष्कर सरोवर में स्रान पूजन व ब्रह्मा जी के दर्शन कर अपने जीवन का धन्य बनाने का आग्रह किया। आगे बताया कि प्रतिदिन मनुष्य के शरीर से 21 हजार 6 सौ श्वास निकलती है उसमें वह कितनी श्वास भगवान, भजन, परिवार, स्वयं के कार्य में लगा रहे है। बताया कि मनुष्य ने पृथ्वी पर कितना धर्म व पुण्य किया इसका हिसाब परमात्मा जरूर लेता है। सभी को अपने मोबाइल पर फोटो व स्टेटस उसकी लगानी चाहिए जिसने तुम्हारी तकदीर बदल दी हो। हरी और हर का मिलन श्रावण और अधिक मास है। महाराज ने सत्यनारायण कथा के महत्व के बारे में भी बताया।

जल ही शिव का स्वरूप, उसे बचाएं
शिव पुराण कथा कहती है कि जल ही शिव का स्वरूप है। उन्होंने जल को बचाने के लिए सभी भक्तों को पौधेरोपण करने को कहा। महाराज ने कहा कि शिव महापुराण कथा कहती है कि झूठ नहीं बोलना चाहिए। और अहंकार व दिखावे से भगवान शंकर प्रसन्न नहीं होते है। महादेव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं भोला भक्त बन जाए। अपनी वाणी, शरीर व चरित्र द्वारा किसी को दुख ना दे यहीं भोला भक्त होता है। ब्रह्मा की नगरी में पहली बार शंकर के भक्त आए तो सभी को पानी पिलाये। महाराज ने कहा कि अगर घर में से कोई भी एक सदस्य महादेव पर एक लोटा जल चढ़ा रहा है तो वह अपनी एकत्तर पीढ़ी को पार लगा रहा है। अंत में महाराज ने ईसर गणगौर की कथा बताई। इस मौके पर आयोजक अमित गुप्ता एवं कीर्ति गुप्ता द्वारा ईसर गणगौर के रूप में सजीव झांकी सजाई गई। 

1 हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुष्कर में एक रात रुकना
उन्होंने भक्तों से सभी तीर्थों के गुरु पुष्कर में शिव के प्रिय मास सावन माह में ब्रह्मा शिव महापुराण कथा सुनने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि पद्मपुराण में लिखा है कि 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ और एक रात्रि पुष्कर राज की भूमि पर निवास करने के महत्व के बराबर है। कहा कि पद्मपुराण कहती है अगर कोई पृथ्वी पर आकर 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ नहीं कर पाए तो उसे प्रयास करना कि पुष्कर पहुंचकर पवित्र सरोवर में स्रान, पूजा व ब्रह्मा का दर्शन कर लेंवे तो उसे यह पुण्य प्राप्त हो जाता है।

कथा श्रवण मात्र ही समस्याओं का निस्तारण
पं. मिश्रा ने बताया कि ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु से प्रश्न किया कि में आपकी नाभी से प्रकट हुआ हूं और आप मेरे पिता हो। ब्रह्माजी ने विष्णु भगवान से प्रश्न किया कि आपको आपके पिता का नाम बता है। तब भगवान विष्णु ने सरल भाषा में बताया कि मेरे पिता देवादिदेव महादेव है, कोई दूसरा नहीं। बताया कि भगवान विष्णु की लक्ष्मीजी के साथ विवाह भी भगवान शंकर ने करवाया। कथा में पं. मिश्रा ने उत्तराखंड स्थित बद्री विशाल की कथा को विस्तार से समझाया। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सभी तीर्थों का गुरु पुष्कर राज है। पं. मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक शिव मंदिर में भगवान शंकर के लिंग चाहे वह पाषण का हो, हरी को, पन्ने, चांदी, सोने, स्फटिक शिवलिंग आदि पर चढ़े जल को आचमन कर सकते है, लेकिन इनमें एक पारद के शिवलिंग पर चढ़े जल का आचमन नहीं किया जाता है। भगवान शिव के स्वरूप को साधारण मनुष्य द्वारा पहचान पाना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि जो शिव महापुराण कथा सुनता है उसके सभी समस्या भगवान महादेव हर लेते है। 

महादेव से कामना करो दुख का समय समाप्त होगा
अगर आपके दुख का समय समाप्त नहीं हो रहा है और आपने देवी देवताओं, ज्योतिषाचार्य, वास्तु शास्त्र, अंगुठियां पहन आदि प्रयास कर लिए लेकिन कोई सफलता नहीं मिले तो उन्हे इस श्रावण मास में एक प्रयास यह करना है कि जो पौधा अपने घर में लगा हो उसी पौधे की मिट्टी से थोड़ी मिट्टी हाथ से निकालकर उसी पौधे के नीचे लिंग की आकृति बनाकर पूजन व जल चढ़ाकर 15-20 मिनट बाद अपना कार्य करने के बाद उसको उसी मिट्टी में अपनी कामना कर विसर्जन कर दे। दो महिने बाद महादेव क्या देगा ये महादेव ही जानते है। 

3 वर्ष पहले हुई बुकिंग अजमेर की जगह पुष्कर में फाइनल हुई
महाराज ने बताया कि 3 वर्ष पहले यजमान परिवार ने बुकिंग कराई उस समय अजमेर में कथा कराने का विचार था। महाराज ने बताया कि कुछ समय पूर्व उनकी दिल की इच्छा, यजमान परिवार की इच्छा व ब्रह्माजी व महादेव की कृपा से कथा का पुष्कर में होना फाइनल हुआ है।

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ब्रह्माजी के कटे सिर से कर्मनाशा नदी प्रकट हुई
बताया कि ब्रह्माजी ने शंकर भगवान की वाणी को झूठा संबोधित करने पर महादेव ने अपने पैर के अंगूठे के नख को तोड़कर काल भैरव को प्रकट किया और फिर काल भैरव को कहा कि ब्रह्माजी का शीश काट दो। ब्रह्माजी का शीश कटकर लुढ़कता हुआ कर्मनाशा नदी प्रकट हो गई। वो कर्मनाशा नदी का पानी जिसका पानी का छींटा भी शरीर पर लग जाये तो सात पीढ़ी में किया हुआ पुण्य नष्ट हो जाता है।

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तैतीस कोटि देवी देवताओं करते थे यहां तप-साधना
महाराज ने कहा कि पुष्कर के पवित्र सरोवर में स्रान, पूजन व आचमन करो सही है लेकिन कपड़े धोना, कुल्ला या गंदगी करना ये बहुत गलत है। उन्होंने बताया कि पूर्व काल में एक ब्रजनाभ नामक राक्षस था जिसका काम था जलाश्य को दूषित करना था। यह राक्षस जल को दूषित इसलिए करता था कि यह गंदा जल देवताओं पर चढ़ेगा तो देवताओं नाराज होकर उस जल से नफरत करेंगे। उन्होंने बताया कि पद्मपुराण में लिखा है कि पुष्कर के कंकर-कंकर में, पुष्कर की रज-रज व एक-एक कण कण में तैतीस कोटि देवी देवताओं बैठकर तप साधना करते है यह भूमि पुष्कर है। यहां गंदगी करना उचितता नहीं व श्रेष्ठता नहीं है। लेकिन ब्रजनाभ ने गंदगी करी तब ब्रह्माजी ने समझाया लेकिन वह नहीं समझा तब ब्रह्माजी ने गुस्से में आकर ब्रजनाभ को मार दिया। ब्रह्माजी ने वापस आकर क्रोध में आकर बैठे तब उनके गले में कमल के पुष्प की माला से दो पुष्प व हाथ से एक पुष्प पृथ्वी पर आकर गिरे इससे तीन पुष्कर का निर्माण हुआ। यहां पर ब्रह्माजी ने यहां आकर जन कल्याण के लिए यज्ञ किया। और पृथ्वी का निर्माण किया। बताया कि द्वापर युग में ब्रह्माजी ने राधा रानी का भगवान कृष्ण के साथ विवाह कर कन्यादान किया था। कन्या का कन्यादान करना सरल बात नहीं है कथा के अनुसार बेटा एक कुल को और बेटी दो कुल को तारती है। जब बेटी का कन्यादान पिता करते से ही वो पिता 94 तरह के नरकों को नहीं भुगता है वो वैकुंठधाम को चला जाता है।

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...तो नारी अपमान का दोष दूर होगा
महाराज ने बताया कि पुष्कर के सरोवर का जल लेकर ब्रह्मा जी का नाम लेकर कपालेश्वर महादेव पर समर्पित किया जाता है तो भूल से भी किसी नारी का अपमान किया हो या गर्भ में बेटी का शांत हो गई हो उसका दोष पुष्कर राज की धरा पर समाप्त हो जाता है यह वो भूमि है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य में किसी पूजन, सत्संग व धार्मिक कर्म करते समय अगर थोड़ा भी अंहकार आ जाए तो भगवान उस धार्मिक कर्म को कभी स्वीकार नहीं करते है। 

भजनों की दी प्रस्तुति
कथा में महाराज एवं भजन मंडली ने हरी ओम में ओम समाया है मेरा भोला पुष्कर में आया है, मेरे भोले के हाथों में त्रिशुल है, खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे में भी खड़ा हूं नंदी बाहें पसारे अपने हृदय से लगा लो लगा लो गिरा जा रहा हूं उठा लो उठा लो, मत कर बुरे कर्म भगवान की आंखों से तू बच नहीं पायेगा आदि भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

हंसी मजाक के साथ लगाए ठहाके
कथा में पं. प्रदीप मिश्रा ने कई प्रसंगों के बीच बीच में श्रोताओं को हंसी मजाक के साथ जमकर ठहाके लगाए जिस पर श्रोताओं ने हंसते हुए प्रसन्नता व्यक्त करते हुए तालियां बजाई।

भक्तों के आए पत्रों को पढ़ा
कथा के दौरान पं. मिश्रा ने राजस्थान सहित दूरदराज से आए पत्रों को पढ़कर श्रोताओं को सुनाया। इस दौरान चंडीगढ़ से नरेश कुमारी महिला भक्त के एक पत्र को पढ़ते हुए बताया कि उस भक्त ने शिव के बगलामुख और बगलामुखी माता वाला हल्दी की माला वाले उपाय से उसकी भक्त की वर्षों पुरानी सोरयसिस वाली बीमारी समाप्त हो गई। इसी तरह उस भक्त ने पशुपति नाथ का व्रत कर महादेव से विनती करने पर उसके 35 वर्षीय बेटें की रूकी हुई शादी हो गई है। बीकानेर के महिला भक्त मोहिनी देवी सोनी के आए पत्र को पढ़ते हुए बताया कि उसके बेटे के गले में हो रखी केंसर की गांठ व बंद आवाज केवल शिव पुराण कथा सुनने और महादेव पर चढ़े एक बल्व पत्र और जल को बेटे को पिलाने से सहीं हो गई। जयपुर निवासी लक्ष्मी यादव के पत्र में बताया कि एक लोटे जल व महादेव पर चढ़े बल्वपत्र को खाने और कुंदकेश्वर महादेव की कृपा से उसके पेट की केंसर की गांठ सही हो गई। नसीराबाद के नांदला निवासी कमला देवी के पत्र में बताया कि महादेव पर चढ़े जल को पीने व बल्वपत्र खानें से उसकी दांतों की बड़ी बीमारी सही हो गई। नागौर के डेगाना निवासी महिला भक्त कैलाश कंवर के आए पत्र को पढ़ते हुए बताया कि उस महिला के पशुपति व्रत करने व सफेद आंकड़े की जड़ का प्रयोग करने से उसकों संतान सुख की प्राप्ति हुई। 

आरती में देवस्थान मंत्री रावत सहित जनप्रतिनिधियों ने लिया भाग
शाम 4 बजे कथा समय की समाप्ति पर शिव पुराण कथा में भगवान शंकर की आरती की गई। इस अवसर पर राज्य सरकार की देवस्थान मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत, आरटीडीसी चैयरमेन धर्मेन्द्र सिंह राठौड़, प्रदेश के उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया, सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक सुरेश सिंह रावत, पूर्व विधायक डा. श्रीगोपाल बाहेती, अजमेर उप महापौर नीरज जैन, आयोजक परिवार एवं जनप्रतिनिधियों सहित प्रबुद्धजनों ने आरती में भाग लिया। इस मौके पर प्रवक्ता उमेश गर्ग ने सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। इससे पूर्व सभी ने हजारों भक्तों के साथ कथा श्रवण किया।

कथा शुरू होने से पहले ही पांडाल खचाखच
मेला मैदान में पं. प्रदीप मिश्रा की 7 दिवसीय श्री ब्रह्मा शिव महापुराण कथा सुनने के लिए पहले ही दिन उम्मीद से अधिक शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। बुधवार को दिन निकलने के साथ ही श्रोताओं ने डेरा जमाना शुरू कर दिया। कथा दोपहर 1 बजे शुरू होनी थी, लेकिन इससे पहले ही आयोजन स्थल महिला-पुरूषों से खचाखच भर गया। जिसको जहां जगह मिली, वहीं बैठ गए। अधिकतर महिला भक्तों ने भजन गाकर पं. मिश्रा के आने का इंतजार किया। शाम को पहले दिन की कथा संपन्न होने के साथ ही मेला मैदान से एक साथ शिव भक्तों की भीड़ रैले के रूप में बाहर निकली। कथा के बाद कई श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्रान व ब्रह्मा मंदिर के दर्शन किए। वहीं बाकी आस-पास के गांव व शहरों से आए शिव भक्त वापस अपने घरों के लिए लौट गए। इसके चलते बस स्टैंड व पार्किंग स्थलों पर काफी देर तक लोगों का जमघट लगा रहा तथा बांगड़ व गनाहेड़ा तिराहे पर जाम लग गया। वाहनों को पुष्कर से निकालने के लिए पुलिस व यातायत कर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।

बसों की कमी, यात्री परेशान
भारी भीड़ के बावजूद रोडवेज प्रशासन ने बसों की माकूल व्यवस्था नहीं की है। शिव भक्तों को कथा के पहले ही दिन बसों की कमी का सामना करना पड़ा। कथा संपन्न होने के बाद बड़ी संख्या में लोग बस स्टैंड पहुंचे, मगर उन्हें बसों का धूप में बैठ कर घंटों इंतजार करना पड़ा। बसों का इंतजार कर रहे कुछ लोगों की तबीयत भी बिगड़ गई। इस मामले में कांगे्रस ब्लॉक अध्यक्ष संजय जोशी ने गहरी नाराजगी प्रकट की है।

पुलिसकर्मी व पासधारियों में नोंकझोंक
आयोजक परिवार की ओर से प्रबुद्ध नागरिकों को विशिष्ट अतिथि के नाम से पास जारी किए गए। हालांकि शुरूआत में तो प्रवेश द्वार पर तैनात पुलिस कर्मियों ने पासधारी लोगों को अतिथि दीर्घा में बैठने दिया। मगर बाद में अतिथि दीर्घा में प्रवेश रोक दिया। जिससे पासधारियों व पुलिस कर्मियों के बीच कई बार नोंकझोंक देखने को मिली।

उपखंड़ कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित
उपखंड अधिकारी निखिल कुमार पोद्दार ने बताया कि शिव महापुराण कथा में शिव भक्त श्रोताओं व सावन मास के दौरान सरोवर का जल लेने के लिए आने वाले कावड़ियों की आपात काल में सहायता के लिए उपखंड़ कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। नियंत्रण कक्ष के तहसीलदार संदीप चौधरी प्रभारी रहेंगे। नियंत्रण कक्ष 24 घंटे खुला रहेगा। कक्ष में तीन कर्मचारियों की राउंड़ द क्लॉक ड्यूटी लगाई गई है।

स्कूल बसों को भी रोका
कथा के चलते अजमेर रोड स्थित यात्री कर नाके से गनाहेड़ा तिराहे तक के मुख्य मार्ग समेत शहर के गली-मौहल्लों में चार पहिए वाहनों के आवागमन पर पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। यही नहीं अजमेर से आने वाली स्कूल बसों को भी शहर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। सभी बसों को अजमेर रोड यात्री कर नाके से पहले ही रोका जा रहा है। जिससे अजमेर पढ़ने के लिए जाने वाले छात्र-छात्राओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं स्कूल बसों को दो किमी पहले ही रोकने से अभिभावकों में रोष उत्पन्न हो रहा है।

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