शोपीस बनकर रह गई ई-मित्र प्लस मशीनें

मशीनें खा रही धूल, आमजन को नहीं मिल रहा लाभ , जागरुकता व जानकारी के अभाव में नहीं कर पा रहे उपयोग

 शोपीस बनकर रह गई ई-मित्र प्लस मशीनें

विभागीय लापरवाही से मशीनें उपयोग में नहीं आ रही है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि ई-मित्र प्लस संचालक मशीन की आई-डी बंद ना हो इसके लिए महीने में एक बार जाकर स्वयं इन मशीनों से ट्रांजेक्शन करते हैं।

हरनावदाशाहजी। जिले के सरकारी विभागों में ई-मित्र प्लस मशीनें धूल खा रही है। हरनावदाशाहजी में भी उपतहसील कार्यालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अटल सेवा केन्द्र पर ई-मित्र प्लस मशीनों के यही हालात हो रहे हैं। आधुनिक तकनीक के माध्यम आम लोगों को एक ही छत के नीचे कई तरह की सरकारी और निजी सेवा मिले। इसी उद्देश्य से सरकार की ओर से शुरू की गई ई-मित्र प्लस मशीने विभागीय कार्यालयों व उपखंड की पंचायतों में शोपीस बन कर रह गई है। इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है। आमजन में जागरुकता व जानकारी के अभाव में कई माह बीत जाने के बाद भी अब तक इन मशीनों का आमजन उपयोग नहीं कर रहा है। अधिक समय से ये मशीनें कई सरकारी कार्यालयों में धूल फांक रही है। इसी के साथ ही ग्रामीण इलाकों में सरकार की ओर से हर ग्राम पंचायत में एक-एक ई-मित्र प्लस कियोस्क मशीन रखवाई थी। लेकिन ग्रामीण इलाको में भी जागरुकता व इंटरनेट कनेक्टिविटी के अभाव में मशीनों का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। कुछ जगह तो मशीनों को इंस्टॉल भी नहीं किया गया। सरकारी कार्यालयों में इन मशीनों के शुरू होने से लोगों को दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे मगर विभागीय लापरवाही से मशीनें उपयोग में नहीं आ रही है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि ई-मित्र प्लस संचालक मशीन की आई-डी बंद ना हो इसके लिए महीने में एक बार जाकर स्वयं इन मशीनों से ट्रांजेक्शन करते हैं।

 लक्ष्य टारगेट पूरा करने का
विभाग का लक्ष्य केवल मशीनों को इंस्टॉल करने का टारगेट पूरा करने का है। इसके चलते यह मशीन कार्यालयों में पहुंच तो गई हैं, लेकिन अब तक कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को इस मशीन को संचालन कैसे होता है इसकी जानकारी नहीं है और न ही अब तक किसी आॅपरेटर को इसके संचालन के लिए नियुक्त किया गया है। जिसके कारण कार्यालयों में आने लोग इन ई-मित्र मशीन का उपयोग नहीं कर पा रहे जिससे यह मशीनें महज शो-पीस बन कर रह गई हैं। 

 ये सुविधाएं है ई-मित्र प्लस में
ई-मित्र प्लस मशीन दिखने में एटीएम जैसी दिखाई देती है। इसमें 32 इंच एलईडी के साथ मॉनिटर डिवाइस, वेब कैमरा, कैश असेप्टर, कार्ड रीडर, मैटलिक की बोर्ड, रसीद के लिए वार्मल प्रिंटर, लेजर प्रिंटर आदि मौजूद हैं। मशीन में मौजूद वेब कैमरे से आम नागरिक उच्चाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत भी कर सकते हैं। प्रत्येक ई-मित्र प्लस मशीन की अनुमानित लागत 2 लाख 15 हजार रुपए बताई जा रही है।

 मशीन में ये उपलब्ध सारी सेवाएं
आमजन को अपने विभागीय कार्यों के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़े इसलिए इस मशीन से गिरदावरी, जमाबंदी की नकल, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति, मूल निवास प्रमाण पत्र का प्रिन्ट, बिजली-पानी बिल जमा करने सहित अनेक प्रकार की सरकारी व निजी सेवाएं आधुनिक तकनीक के माध्यम से देने के लिए राज्य सरकार ने ई-मित्र प्लस योजना पूर्व में चलाई थी, इसके तहत सभी ग्राम पंचायतों व सरकार के विभागीय कार्यालयों में मशीनों को भेजा गया था। इसके अलावा इन मशीनों के माध्यम से पानी-बिजली, गैस, पोस्टपैड मोबाइल सहित सभी तरह के बिल भी जमा करा सकते हैं। बिल राशि का पेमेंट एटीएम की तरह कार्ड से होता हैं।यही नही एटीएम की डिपोजिट मशीन की तरह कैश डालकर भी बिल जमा किया जा सकता है। इसी के साथ ही मशीन पर सभी प्रकार के प्रमाण-पत्र भी प्रिंट लिए जा सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उपभोक्ता का इससे मिलने वाली सेवाओं का चार्ज कम से कम 10 रुपए व अधिक से अधिक 50 रुपए तक रखा हैं।

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 ई-मित्र प्लस मशीन पर आवश्यक कार्य के लिए जाते है, लेकिन मशीन के सही तरीके से काम नहीं करने के कारण निराश लौटना पड़ता है। 
- कन्हैयालाल, ग्रामीण। 

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ई-मित्र प्लस मशीन खराब होने से विभागों के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिससे समय व धन की बर्बादी हो रही है। 
- भूली बाई, ग्रामीण महिला। 
    
वर्तमान में ई-मित्र प्लस मशीनों का कनेक्टिविटी के कारण सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसमें सुधार करने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
- विकास प्रजापत, उपखंड अधिकारी, छीपाबड़ौद। 

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