आचार्य महाश्रमण ने भगवती सूत्र आगम के माध्यम से दिए जीवन के सूत्र
आचार्यश्री ने हाजरी का वाचन करते हुए समुपस्थित चारित्रात्माओं को विविध प्ररेणाएं प्रदान कीं।
मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्य महाश्रमण ने भगवती सूत्राधारित अपनी कल्याणी वाणी से लोगों को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि परमाणु अनंत अतीतकाल में भी रहा, वर्तमान में भी है और अनंत भविष्य में भी रहेगा, ऐसा कहा जा सकता है।
छापर। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालूगणी की जन्मभूमि पर 74 वर्षों बाद चतुर्मास कर रहे तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, आचार्य महाश्रमण श्रद्धालुओं को भगवती सूत्र आगम के माध्यम से जीवन के महनीय सूत्र प्रदान कर रहे हैं।
बुधवार को श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होने के कारण प्रवचन पंडाल के मंच पर आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ गुरुकुलवासी साधु-साध्वियों की प्राय: उपस्थिति थी। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के नियमानुसार हाजरी वाचन का क्रम भी था। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्य महाश्रमण ने भगवती सूत्राधारित अपनी कल्याणी वाणी से लोगों को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि परमाणु अनंत अतीतकाल में भी रहा, वर्तमान में भी है और अनंत भविष्य में भी रहेगा, ऐसा कहा जा सकता है। हां! ऐसा कहा जा सकता है कि यह परमाणु अनंत अतीतकाल में भी था, वर्तमान में भी है और अनंत भविष्य में भी रहेगा। पुद्गल और जीव के विषय में बताया गया कि पुद्गल और आत्मा दोनों ही शाश्वत त्रैकालिक हैं। इस सृष्टि में पुद्गल और जीव जीवन में स्पष्ट रूप में काम आते हैं। मानव के व्यवहार में आने वाले भी पुद्गल और जीव होते हैं। चारित्रात्माओं को भी कितना पुद्गलों का उपयोग करना होता है। व्याख्यान देने के लिए भी पुद्गल कितना काम आता है। सामने ग्रन्थ और शास्त्र हैं तो आसानी से कोई बात बताई जा सकती है। जीव परस्पर उपकार करने वाले होते हैं। परस्पर उपकार मानों एक जीवन के क्रम से जुड़ा हुआ है। किसी को एक रोटी खाने को मिलती है तो उसके पीछे कितनों का उपकार जुड़ा हुआ होता है।
प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने हाजरी का वाचन करते हुए समुपस्थित चारित्रात्माओं को विविध प्ररेणाएं प्रदान कीं। तदुपरान्त आचार्यश्री की अनुज्ञा से साध्वी ख्यातिप्रभा, साध्वी ऋजुप्रभा, साध्वी काम्यप्रभा, साध्वी आर्षप्रभा, साध्वी सात्विकप्रभा, साध्वी रोहिणीप्रभा साध्वी नमनप्रभा व साध्वी युक्तिप्रभा ने लेखपत्र का उच्चारण किया। इस दौरान कालू महाश्रमण भवन सभागार में समाजसेवी पुटिया राजा,पूर्व अधिषासी अभियन्ता सुगनचंद मंडार, शिवप्रसाद जाट,जीतू चाड़वास ने आचार्यप्रवर के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।

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