माधोसागर बांध का पैंदा सूखा : तड़प कर दम तोड़ रही हैं मछलियां, दुर्गंध से आसपास का वातावरण दूषित
लोगों के स्वास्थ पर संक्रमण का खतरा मंडराया
जीवित मछलियां बची हुई हैं उन्हें कालाखो बांध मोरेल बांध, झिलमिली बांध यह अन्य कहीं पानी पर्याप्त है उसे जगह पर ले जाकर डाला जाएगा।
घूमना। दौसा जिले के घूमना क्षेत्र स्थित माधो सागर बांध के आहात इन दिनों चिंताजनक बने हुए हैं, बांध में पानी न के बराबर रह गया है, जिसके चलते सैकड़ों मछलियों दम तोड़ चुकी हैं। मृत मछलियों के सड़ने से क्षेत्र में दुर्गंध फैलने के साथ आमजन के स्वास्थ पर खतरे भी मंडराने लगा है। उल्लेखनीय है कि बांध में पानी की आपूर्ति मोरली बांध से होती है, लेकिन गत वर्षों में पानी का सही बंटवारा नहीं हो पाने से इस वर्ष बांध में पानी की मात्रा नगण्य रह गई है। पूर्व में मत्स्य विभाग और जिला परिषद की ओरसे मछली पालन के लिए ठेका दिया गया था, बांध में नियमित मछलियों का उत्पादन हो रहा था। लेकिन अब जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि बची हुई मछलियाँ भी गर्म पानी में तड़प-तड़पकर दम तोड़ रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार, यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाया गया तो बची हुई मछलियां भी बांध से समाप्त हो जाएंगी। इस स्थिति से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है, बल्कि दुर्गंध और लोगों में संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ रहा है। तापमान में लगातार वृद्धि के चलते अनुमान है कि आने वाले 8-10 दिनों में बांध पूरी तरह सूख जाएगा।
मत्स्य विभाग समय रहते कदम उठाए
ग्रामीणों का कहना है कि बांध में टैंकरों से पानी डलवाया जाए या जीवित मछलियों को किसी अन्य जल स्रोत में स्थानांतरित किया जाए। यदि मत्स्य विभाग समय रहते कदम उठाता है, तो मछलियों का जीवन बचाया जा सकता है।
माधो सागर बांध में पानी की मात्रा कम हो गई है, जिससे मछलियों की मौत हो रही है। जीवित मछलियां बची हुई हैं उन्हें कालाखो बांध मोरेल बांध, झिलमिली बांध यह अन्य कहीं पानी पर्याप्त है उसे जगह पर ले जाकर डाला जाएगा।
-राजपाल यादव, मत्स्य सहायक विकास अधिकारी, दौसा
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