कम परीक्षा परिणाम देने पर प्रिंसिपल और व्याख्याता के खिलाफ की गई कार्रवाई रद्द
जस्टिस अनूप कुमार ढंड़ ने प्रिंसिपल व व्याख्याता की याचिकाओं पर दिया आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम देने पर प्रिंसिपल और व्याख्याता के खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई को सही नहीं मानते हुए रद्द कर दिया है
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम देने पर प्रिंसिपल और व्याख्याता के खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई को सही नहीं मानते हुए रद्द कर दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड़ ने यह आदेश प्रिंसिपल महेन्द्र तिवाडी व व्याख्याता नेमीचंद की याचिकाओं पर दिया। याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता 2019-2020 में कोटखावदा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, राम नगर में प्रिंसिपल था। इस साल का सीनियर टीचर्स का गणित और इंग्लिश विषय का परीक्षा परिणाम विभागीय मापदंड से कम आया। जिस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने याचिकाकर्ता को चार्जशीट दी और जुलाई 2021 में उसकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि भी रोक दी। इसकी अपील करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव ने दंड कम कर उसे एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि स्कूल का परीक्षा परिणाम सदैव उत्कृष्ट रहा है।
ऐसे में केवल एक साल कम परीक्षा परिणाम आने पर उसे दंडित नहीं कर सकते। इसके अलावा वरिष्ठ अध्यापकों ने पूरे साल विद्यार्थियों को पढ़ाया, लेकिन परीक्षा परिणाम कम आया। ऐसे में वरिष्ठ शिक्षकों की एवज में उसे दंडित नहीं किया जा सकता। वहीं दूसरे ऐसे ही समान मामले में याचिकाकर्ता व्याख्याता नेमी चंद बलाई जयपुर जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बधाल में हिंदी के व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं। उनके खिलाफ भी 2018-2019 में कक्षा 12वीं का हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम तय मापदंड से कम आने के चलते चार्जशीट दी और जुलाई 2021 में दो वार्षिक वृद्धि रोक ली। विभाग ने वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की अवधि दो साल से एक साल कर दी। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि हर छात्र का पढ़ने का स्तर एक जैसा नहीं होता है। इसलिए उसे कम परिणाम के लिए दोषी करार देकर दंडित नहीं किया जा सकता। दोनों मामलों में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दंडात्मक कार्रवाई को रद्द कर दिया हैं।
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