संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका अतुल्य : स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई सक्रिय भूमिका, देवनानी ने कहा- पिछड़े और कमजोर वर्ग के अधिकारों के लिए किया संघर्ष
सामाजिक न्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं
बाबा साहेब ने पिछड़े और कमजोर वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। अम्बेडकर के सामाजिक सछ्वाव, समानता, सामाजिक न्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
जयपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने संविधान निर्माता एवं भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर को उनकी जयंती पर नमन करते हुए कहा कि संविधान निर्माण में उनकी भूमिका अतुल्य हैं। देवनानी ने कहा कि अम्बेडकर ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के जरूरतमंद, पिछड़े, उपेक्षित और निर्बल वर्गों को उन्नत करने में लगाया और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतन्त्र भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के लिए संविधान निर्माण में उन्होंने अतुल्य भूमिका निभाई। बाबा साहेब ने पिछड़े और कमजोर वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। अम्बेडकर के सामाजिक सछ्वाव, समानता, सामाजिक न्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
देवनानी ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे लम्बा और लिखित संविधान है। यह हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का इतिहास उन लाखों भारतीयों के संघर्षों और स्वतंत्र होने की आशाओं में निहित है, जो स्वतंत्रता, न्याय एवं समानता के लिए तरस रहे थे। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, बाबा साहब अम्बेडकर, वीर सावरकर जैसे महापुरुषों के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत के लिए आशा की चिंगारी जलाई थी।
अम्बेडकर को संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है और भारतीय संविधान अछ्वुत तार्किकता, दूरदर्शिता, संवेदनशीलता से युक्त एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें विश्व के विभिन्न संविधानों के सर्वोत्तम तत्वों को शामिल किया गया था। साथ ही यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और दार्शनिक परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करता है।
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