सिर्फ नेम प्लेट लगाने और आधे घंटे की मीटिंग से नहीं चलेगा काम : गोविन्द सिंह डोटासरा
बैठक में नहीं आए तो पदों से होगी छुट्टी
कांग्रेस मुख्यालय पर अंबेडकर जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में अपनों के बीच खरी-खरी बातचीत
जयपुर। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने पार्टी मुख्यालय पर अंबेडकर जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में अपने ही नेताओं और कार्यकर्ताओं पर तंज कसते हुए कहा कि गाड़ी पर नेम प्लेट लगाकर आधे घंटे मीटिंग में आकर नेता कहलाने की रस्म अदायगी से काम नहीं चलेगा। हमें संविधान की रक्षा के लिए उठ खड़ा होना होगा और लोगों के बीच जाना होगा, नहीं तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। डोटासरा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सही कहा है कि आप लोग किस डर से भाजपा और आरएसएस के खिलाफ नहीं बोलते। जेल जाने का डर सता रहा है क्या, भगत सिंह जैसे दीवाने तो फांसी पर चढ़ गए। आप और हम आगामी कल के लिए संविधान के लिए थोड़ी मेहनत और साहस नहीं कर सकते तो खुद को कांग्रेसी कहलाने का अधिकार नहीं है। नेताओं की रस्म अदायगी ने देश में हमें पहले 50 तक पहुंचाया और अभी 100 सांसद हैं।
बैठक में नहीं आए तो पदों से होगी छुट्टी
जो पदाधिकारी लगातार जिला, ब्लॉक और प्रदेश स्तर की तीन महीने तक बिना कारण बताए बैठकों में नहीं आएंगे, वे खुद ही पदमुक्त हो जाएंगे। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने के लिए खुद को फील्ड में झोंकना होगा। सरकार की कार्रवाई को लेकर कहा कि हमारे किसी कार्यकर्ता ने अपराध किया तो उसे गिरफ्तार किया जाए, अगर गलत कार्रवाई हुई तो ईंट से ईंट बजा देंगे।
भजनलाल सरकार ने वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कोई कानून में बदलाव नहीं किया, इसके बावजूद प्रशासक लगा दिए। पांच साल में चुनाव करवाने के प्रावधान के बावजूद ये साल भर तक चुनाव आगे खिसका रहे हैं। यह संविधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। कल यह विधानसभा का कार्यकाल भी दो साल बढ़ा देंगे, राष्ट्रपति, राज्यपाल शासन लगा देंगे, यह बहुत खतरनाक है। यह लोकतंत्र को कमजोर करने की चाल है। पूर्व मुख्यमंत्री के पानी पर लानत भेजने पर केवल एक इक्सईएन को एपीओ करके इतिश्री कर ली।
मंत्रियों के पावर राज्यपाल ने सीज कर रखे
मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा आलाकमान से कहूंगा कि एक मुख्यमंत्री तो देवदर्शन के लिए रख दो, लेकिन काम के लिए भी एक मुख्यमंत्री बना दो। बीजेपी के हारे हुए लोग सीएमओ में बैठकर परिसीमन के नाम पर संविधान की धज्जियां उड़ाते हैं। अगर समय रहते हमने इनका विरोध नहीं किया तो अपने आप को माफ नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री के पावर तो ऊपर वालों ने सीज कर रखे हैं और मंत्रियों के पावर हमारे राज्यपाल ने सीज कर रखे हैं। मंत्रियों को जो बैठक करनी होती है, वह राज्यपाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री एक बार इसकी भी समीक्षा कर लें कि पर्ची सही थी या गलत, कम से कम राजस्थान का तो भला हो जाएगा।
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