अरविंद सिंह मेवाड़ चिर निद्रा में लीन, देर रात 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
मेवाड़ में शोक, आज सुबह 11 बजे शंभू पैलेस से निकलेगी अंतिम यात्रा
स्व. मेवाड़ के पुत्र डा.लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का शंभू पैलेस के बाहर सीढियों पर रुदन फूटा तो स्व. मेवाड़ के भतीजे एवं नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी किया।
उदयपुर। पूर्व मेवाड़ राज परिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का देर रात 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे बीमार थे और उदयपुर के सिटी पैलेस स्थित निवास में ही उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की खबर से शहर सहित मेवाड़ में शोक की लहर दौड़ गई। मेवाड़-मारवाड़ के कई राव-उमराव शंभू पैलेस पहुंचे और शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाया। स्व. मेवाड़ के पुत्र डा.लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का शंभू पैलेस के बाहर सीढियों पर रुदन फूटा तो स्व. मेवाड़ के भतीजे एवं नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी किया। अरविंद सिंह मेवाड़ का जन्म 13 दिसंबर 1944 को हुआ था। वे महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और राजमाता सुशीला कुमारी मेवाड़ के छोटे पुत्र थे। उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन गत वर्ष 10 नवंबर को हुआ था। परिवार में पुत्र लक्ष्य सिंह मेवाड़, पुत्री पद्मजा कुमारी मेवाड़ और पत्नी विजयराज कुमारी हैं।
सीएम ने जताया शोक
सीएम भजनलाल शर्मा ने अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन पर दु:ख जताया है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ की वैभवशाली विरासत को आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व और अनुकरणीय चरित्र भावी पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दु:ख सहन करने की ईश्वर शक्ति दे।
प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज में
स्व. अरविन्द सिंह मेवाड़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज से प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने महाराणा भोपाल कॉलेज उदयपुर से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया था। वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए। यूके में सेंट एबल्स मेट्रोपॉलिटन कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। कुछ समय अमेरिका में जॉब किया लेकिन परिवार की विरासत और उदयपुर के पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए वे अपने शहर लौट आए थे।
उदयपुर का पर्यटन ऊंचाइयों तक पहुंचा
अरविंद सिंह मेवाड़ एचआरएच ग्रुप आफ होटल्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। उनके प्रयासों से उदयपुर का पर्यटन उद्योग नई ऊंचाइयों तक पहुंचा। वे कई सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थानों से भी जुड़े रहे। वे महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन ट्रस्ट, महाराणा मेवाड़ ऐतिहासिक प्रकाश ट्रस्ट और राजमाता गुलाब कुवर चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। वे शिक्षा संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए काम करते रहे।
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