संस्कृत विश्वविद्यालय का बुरा हाल : 38 पदों में से 29 खाली, एक सहायक कुलसचिव प्रतिनियुक्ति पर
सहायक कुलसचिव का पद रिक्त
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय ना सिर्फ विद्यार्थियों को तरस रहा है बल्कि अशैक्षणिक 38 पदों में से 29 पद रिक्त हैं। विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक, उपकुलसचिव के पद रिक्त हैं, सहायक कुलसचिव के चार पदों में से दो पद भरे हुए हैं, जिसमें से भी एक सहायक कुलसचिव शिक्षा मंत्री के पास प्रतिनियुक्ति पर हैं।
जयपुर। जगद्गुरु रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय ना सिर्फ विद्यार्थियों को तरस रहा है बल्कि अशैक्षणिक 38 पदों में से 29 पद रिक्त हैं। विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक, उपकुलसचिव के पद रिक्त हैं, सहायक कुलसचिव के चार पदों में से दो पद भरे हुए हैं, जिसमें से भी एक सहायक कुलसचिव शिक्षा मंत्री के पास प्रतिनियुक्ति पर हैं। कुलपति प्रो.रामसेवक दुबे के कार्यकाल के पूरा होने के बाद से विश्वविद्यालय कार्यवाहक कुलपति प्रो.नन्दकिशोर पाण्डे के भरोसे चल रहा हैं।
सूत्रों ने बताया कि सहायक कुलसचिव विजय नारायण के प्रतिनियुक्ति पर होने से विश्वविद्यालय का कॉलेजों को सम्बंद्धता देने का कार्य इस वर्ष भी काफी हद तक प्रभावित हुआ है। सामान्य प्रशासन, आरटीआई, विधानसभा सहित अन्य कार्य विश्वविद्यालय में बचे एक मात्र सहायक कुलसचिव को करने पड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने राज्यपाल एवं कुलाधिपति को 18 अप्रैल, 2023 को पत्र लिखकर सभी अशैक्षणिक पदों को भरने का आग्रह किया था, लेकिन आज तक पद नहीं भरे गए।
विद्यार्थियों का भी टोटा
विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिए तरस गया है। विश्वविद्यालय में यदि योग के विद्यार्थियों को हटा दिया जाए तो पूरे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की संख्या बामुश्किल 432 ही हो पाती है। विश्वविद्यालय के प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2024-25 के अनुसार विश्वविद्यालय में 828 विद्यार्थी हैं, जिसमें से 396 विद्यार्थी योग के हैं।
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की परिचायक संस्कृत भाषा और संस्कृत विश्वविद्यालय की हालत बहुत ही खराब है। सरकार का शिक्षा से कोई सरोकार ही नहीं हैं, स्टाफ कम होने के बावजूद प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी को लगा रखा है।
-प्रो.बनय सिंह, प्रदेश महामंत्री,राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ,जयपुर
विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ ही महत्वपूर्ण पदों के रिक्त होने से लगता है कि व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है, निजी कॉलेजों का सम्बंद्धता वाला कार्य भी काफी हद तक प्रभावित होता है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
-डॉ.सुरेश चन्द शर्मा, सीनियर रिसर्च फैलो, जयपुर

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