सरेंडर नहीं करेंगे : भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को सुप्रीम कोर्ट से राहत
विधायकी पर संकट हो गया था खड़ा
वीडियोग्राफर की कैसेट निकालकर उसे तोड़ दिया। इस घटना से पहले याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 आपराधिक केस दर्ज हो चुके थे।
जयपुर। अंता से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने कंवरलाल मीणा को तुरंत ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए थे। अब विधायक मीणा सरेंडर नहीं करेंगे।
यह है मामला: एक मई को हाईकोर्ट ने विधायक की अपील को खारिज करते हुए अपीलेंट कोर्ट (एडीजे) अकलेरा के फैसले को बरकरार रखा था। अपीलेंट कोर्ट ने विधायक को राजकार्य में बाधा डालने, सरकारी अधिकारियों को डराने-धमकाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी।
विधायकी पर संकट हो गया था खड़ा
हाईकोर्ट से भी सजा बरकरार रहने के बाद कंवरलाल मीणा की विधायकी पर संकट खड़ा हो गया था। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत दो साल से ज्यादा की सजा होने पर सांसद या विधानसभा सदस्य को अयोग्य करार दिए जाने का प्रावधान है। ऐसे में कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है। लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के तुरंत ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के फैसले पर रोक लगा दी है। वहीं मामले को 4 सप्ताह बाद सुनवाई के लिए रखा है।
20 साल पहले एसडीएम पर तान दी थी पिस्टल
करीब 20 साल पहले 3 फरवरी, 2005 को झालावाड़ के मनोहर थाने से दो किमी दूर दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर गांव के लोगों ने खाताखेड़ी के उपसरपंच के चुनाव के संबंध में रीपोल करवाने के लिए रास्ता रोक रखा था। सूचना पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार के साथ मौके पर पहुंचे। वे लोगों को समझा रहे थे। करीब आधे घंटे बाद कंवरलाल मीणा अपने कुछ साथियों के साथ मौके पर आए। उसने मेहता की कनपटी पर पिस्टल तानकर कहा कि दो मिनट में रीपोलिंग की घोषणा नहीं की तो जान से मार दूंगा।
मेहता ने उससे कहा था कि इस तरह से जान जा सकती है, लेकिन रीपोलिंग की घोषणा नहीं हो सकती है। उसके बाद उसने विभाग के फोटोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर तोड़ दिया और फिर जला दिया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने कंवरलाल मीणा को 2 अप्रैल, 2018 को दोषमुक्त किया था। लेकिन, अपील कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया था। आपराधिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज नहीं कर सकते इसके खिलाफ कंवरलाल मीणा ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि घटना के समय याचिकाकर्ता ने स्वयं को एक राजनीतिक व्यक्ति बताया। उस स्थिति में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह कानून व्यवस्था को चुनौती देने की बजाय उसे बनाए रखने में सहयोग करेंगे। लेकिन उन्होंने रीपोल की मांग करते हुए एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तान दी। उसे जान से मारने की धमकी दी। वीडियोग्राफर की कैसेट निकालकर उसे तोड़ दिया। इस घटना से पहले याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 आपराधिक केस दर्ज हो चुके थे। अधिकांश में उसका दोष मुक्त होना बताया गया है। फिर भी उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि को यहां पर नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं है।
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