मोबाइल, रील्स और स्क्रीन की गिरफ्त में बचपन : खेलों से दूरी, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य हो रहा खराब; स्कूली बच्चों में मोबाइल-एडिक्शन और स्वास्थ्य का खतरा 

ज्यादा स्क्रीन टाइम सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है

मोबाइल, रील्स और स्क्रीन की गिरफ्त में बचपन : खेलों से दूरी, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य हो रहा खराब; स्कूली बच्चों में मोबाइल-एडिक्शन और स्वास्थ्य का खतरा 

बच्चों के डॉक्टर्स और मनोचिकित्सकों का कहना है कि दिनभर में दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

जयपुर। आज बचपन का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। कभी बचपन मतलब खेलकूद से कहानियां सुनना, खिलोनों से खेलना हुआ करता था। लेकिन आज इन सब की जगह मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट्स सहित अन्य गेजेट्स ने ली है। दिनभर रील्स बनाना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना, लाइक्स शेयर में उलझे रहना एक दिनचर्या बन गई है। विशेष रूप से राजस्थान जैसे राज्य में जहां स्मार्टफोन व इंटरनेट की पहुंच तेजी से बढ़ रही है। स्कूली बच्चों में स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल, टैब, टीवी आदि का एडिक्शन एक चिंताजनक समस्या बनती जा रही है। एक अध्ययन के मुताबिक में दक्षिण राजस्थान में किए गए एक सर्वे में जो कि कक्षा 1 से 12 के कुल 3505 छात्र छात्राओं पर किया गया, इसमें पाया गया कि लगभग 13.60 प्रतिशत बच्चों का स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक था। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन बच्चों का स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक था, उनमें 33.3 प्रतिशत को चिड़चिड़ापन था और 27.46 प्रतिशत को सिरदर्द की शिकायत थी। इसके अलावा राष्टÑीय स्तर के एक सर्वे के अनुसार भारत में 5 से 16 वर्ष के लगभग 60 प्रतिशत बच्चे इस तरह के डिजिटल एडिक्शन की गिरफ्त में हैं। बच्चों के डॉक्टर्स और मनोचिकित्सकों का कहना है कि दिनभर में दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

मनोचिकित्सा केन्द्र में भी चौंकाने वाले आंकड़े
जयपुर के सेठी कॉलोनी स्थित मनोचिकित्सा केन्द्र में हर सप्ताह दो दिन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ओपीडी का संचालन किया जाता है। इस ओपीडी में हर सप्ताह करीब 100 से 150 बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इनमें से करीब पचास फीसदी से ज्यादा बच्चों के परिजन बच्चों में मोबाइल और स्क्रीन एडिक्शन की शिकायत लेकर आते हैं। इसके कारण उनमें कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियां घर कर रही हैं।

मानसिक, व्यावहारिक और शैक्षणिक असर

अत्यधिक स्क्रीन का उपयोग बच्चों की एकाग्रता, भाषा विकास, सामाजिक कौशल और नींद पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। 
एंजाइटी, डिप्रेशन, आक्रामता भी बच्चों में काफी बढ़ रहा है।
स्क्रीन एडिक्शन का स्कूली बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य पर असर
दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन-टाइम के कारण बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी कम हो रही है, जिससे वजन बढ़ने का खतरा, थकान, मोटापा, हार्ट, मेटाबॉलिक समस्या बढ़ रही है।
आंखों पर बहुत दबाव पड़ रहा है, जिससे आंखों की रोशनी कम हो रही है। कम उम्र में चश्मा लग रहा है। सिरदर्द, गर्दन, पीठ में भी दर्द जैसी समस्या सामने आ रही है। 

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