एससी-एसटी आरक्षण विषय पर हुई चर्चा
बिना सर्वे के इस तरह के फैसलों से विसंगति होगी
विशिष्ट अतिथि भागचन्द मीना ने कहा की अनुच्छेद 341 व 342 का सीधा उल्लंघन है। एसटी एससी आरक्षण सूची में परिवर्तन का अधिकार संसद के जरिए राष्ट्रपति को है, न्यायालय को नहीं है।
जयपुर। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक महासंघ कार्यालय में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। हाल ही में एसटी-एससी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव विषय पर एक संगोष्ठी हुई, जिसमें आदिवासी परंपराओं रीति रिवाजों एवं संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया गया। मुख्य अतिथि अनिल गोठवाल ने कहा कि जो फैसला संसद को लेना था, वो फैसला सुप्रीम कोर्ट को क्यों लेना पड़ा यह चिन्तनीय है। बिना कमेटी बिना आयोग, बिना सर्वे के इस तरह के फैसलों से विसंगति होगी।
विशिष्ट अतिथि भागचन्द मीना ने कहा की अनुच्छेद 341 व 342 का सीधा उल्लंघन है। एसटी एससी आरक्षण सूची में परिवर्तन का अधिकार संसद के जरिए राष्ट्रपति को है, न्यायालय को नहीं है। महासंघ प्रदेशाध्यक्ष राजपाल मीणा ने बताया कि इंदिरा साहनी केस में 9 जजों की बेंच के दिए गए फैसले एसटी एससी में क्रीमिलेयर एवं डिविजन लागू नहीं हो सकता। निर्णय को सात जजों की बेंच नहीं बदल सकती। प्रवक्ता सुखलाल टाटू, अंबेडकर वेलफेयर सोसायटी महासचिव जीएल वर्मा, गोमा सागर, एनयूबीसी युवा प्रदेशाध्यक्ष हरिमोहन मीणा ने भी संगोष्ठी में चर्चा की।
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