महिलाओं ने किया सामूहिक गणगौर पूजन
गणगौर माता को मेहंदी, हल्दी, चुनरी भेंट कर मैदा से बने मीठे गुणे का भोग लगाया
शृंगार के प्रतीक इस त्योहार पर महिलाएं दुल्हन की तरह सजीं। सिर पर मटकी रख पानी लेने पहुंची। समूह बनाकर गणगौर माता के गीत गाए।
जयपुर। सुहाग का पर्व गणगौर का सोमवार को पारपंरिक उत्साह के साथ पूजन किया गया। सुहागिन महिलाओं ने अखंड सुहाग और कुंवारी युवतियों ने श्रेष्ठ घर-वर की कामना के साथ घरों में मिट्टी से बनाई गई गणगौर और ईसरजी की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना की। गणगौर माता को मेहंदी, हल्दी, चुनरी भेंट कर मैदा से बने मीठे गुणे का भोग लगाया गया। शृंगार के प्रतीक इस त्योहार पर महिलाएं दुल्हन की तरह सजीं। सिर पर मटकी रख पानी लेने पहुंची। समूह बनाकर गणगौर माता के गीत गाए। फिर गणगौर माता की पूजा- अर्चना कर पति की लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना की। इस दौरान महिलाओं ने गौरी माता की कथा सुनाई। कई स्थानों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से गणगौर पूजन किया। अनेक मंदिरों में भी सामूहिक रूप से गणगौर की पूजा-अर्चना की गई। शाम को गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाल कर गणगौर का कुएं में विसर्जन किया गया।गौरतलब है कि विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए यह पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन को प्रेम का जीवंत प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान शिव ने संपूर्ण नारी समाज को सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। मान्यता है कि जो सुहागिन गणगौर का व्रत रखती हैं, शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। उनके पति की उम्र लंबी हो जाती है। जो कुंवारी युवतियां गणगौर का व्रत रखती हैं, उन्हें आदर्श जीवन साथी का वरदान प्राप्त होता है।
उत्सव जैसा माहौल: गांवों में ही नहीं बल्कि गुलाबी नगरी में भी सभी उम्र की महिलाआें ने गणगौर का पूजन कर मनौतियां मांगीं। महिलाओं ने जब अपने परम्परागत गीत गाए, तो युवतियां अपने आपको नाचने से नहीं रोक पाई। जिन युवतियों की हाल ही में शादी हुई थी,उन्होंने पीहर में भाभी और सहेलियों के साथ गणगौर पूजन किया।
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