शिक्षा विभाग में कवायद : शिक्षा की गुणवत्ता सही करने का प्रयास, निजी स्कूलों को बताना होगा छात्रों की उपस्थिति का डेटा
विद्यार्थियों की उपस्थिति का डेटा शाला दर्पण पर डाला जाता है
सरकार का मानना है कि जब तक बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता को सही कर पाना कठिन है।
जयपुर। शिक्षा विभाग अब प्रदेश के निजी स्कूलों से विद्यार्थियों की उपस्थिति का ‘डेटा’ पोर्टल पर डलवाने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत निजी स्कूल संचालकों को शिक्षा विभाग के प्राइवेट स्कूल पोर्टल पीएसपी पर विद्यार्थियों की उपस्थिति नियमित रूप से देनी होगी। अब तक सरकारी स्कूलों द्वारा ही विद्यार्थियों की उपस्थिति का डेटा शाला दर्पण पर डाला जाता है, जिसमें बताया जाता है कि अमुक कक्षा में कितने विद्यार्थी उपस्थित और अनुपस्थित रहे। सरकार का मानना है कि जब तक बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता को सही कर पाना कठिन है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार- इस कदम से विद्यार्थियों की पढ़ाई में नियमितता आएगी और उनका ध्यान शिक्षा पर केंद्रित रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला राज्य में शिक्षा के स्तर को सही करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र भी अब इस नियम के दायरे में आकर पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर होंगे। अभिभावक भी बच्चों की उपस्थिति को लेकर सजग रहेंगे। इसके अंतर्गत स्कूलों को डिजिटल उपस्थिति रजिस्टर या ऑनलाइन रिपोर्टिंग सिस्टम के माध्यम से करनी होगी, जिससे शिक्षा विभाग वास्तविक समय में उपस्थिति का आकलन कर सकेगा।
निजी स्कूलों पर लगेगी लगाम
- इससे निजी स्कूल भी शिक्षा विभाग के शिविरा के माध्यम से संचालित हो सकेंगे।
- कई बार निजी स्कूल शिक्षा विभाग के शिविरा की अवज्ञा कर स्कूलों में अवकाश अपने स्तर पर तय कर लेते हैं। इससे शिक्षा विभाग के निजी और सरकारी स्कूलों में एकरूपता आएगी।
- कक्षा 11 और 12 के निजी स्कूलों के विज्ञान संकाय के विद्यार्थी नियमित स्कूल जाने के बजाय कोटा,सीकर सहित अन्य स्थानों में कोचिंग करते हैं और स्कूल नहीं जाने के स्कूल संचालकों को मोटी रकम देते हैं। इस पर रोक लग सकेगी।

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