धरातल पर पार्टी को मजबूत करने की कवायद, पंचायत-निकाय चुनावों में कांग्रेस की इंडिया गठबंधन से रहेगी दूरी
गठबंधन के चलते कई जिलों में कांग्रेस संगठन हुआ कमजोर
गठबंधन कर चुनाव लड़ने से भाजपा को कुछ हद तक मात देने का राजनीतिक लाभ तो मिला, लेकिन पार्टी रणनीतिकारों ने इसे संगठन हित में नहीं माना।
जयपुर। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गठबंधन कर चुकी प्रदेश कांग्रेस ने अब छोटे चुनावों में इंडिया गठबंधन के दलों से गठजोड़ नहीं करने का फैसला किया है। पिछले चुनावों में कांग्रेस को गठबंधन से राजनीतिक फायदे से ज्यादा संगठन की कमजोरी होने का नुकसान झेलना पड़ा है। लिहाजा अब कांग्रेस आगामी पंचायत और निकाय चुनावों में खुद के दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में आदिवासी पार्टी बीएपी, रालोपा और कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन कर मेवाड़ के आदिवासी जिलों बांसवाड़ा, डूंगरपुर, मारवाड़ के नागौर और शेखावाटी जिलों में सीकर में चुनाव लड़े। गठबंधन कर चुनाव लड़ने से भाजपा को कुछ हद तक मात देने का राजनीतिक लाभ तो मिला, लेकिन पार्टी रणनीतिकारों ने इसे संगठन हित में नहीं माना।
रणनीतिकारों के अनुसार गठबंधन करने से तीसरे मोर्चे के दल ही आगे बढ़ेंगे और भविष्य के लिए कांग्रेस संगठन की जड़ें उन जिलों में कमजोर होंगी। मेवाड़ में आदिवासी पार्टी के साथ गठबंधन किया, लेकिन पार्टी यह भी मानती है कि इन जिलों में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने अपनी मेहनत के दम पर पार्टी का वजूद बनाया था। अब कुछ नेताओं के वर्चस्व की लड़ाई में यहां पार्टी धरातल पर कमजोर हुई है। ऐसा ही सिलसिला चलते रहने से पार्टी को कुछ नेताओं की मनमानी का शिकार होने से रोकने के लिए संगठन को मजबूती से खड़ा कर चुनाव लड़ने होंगे।
परिणामों की चिंता किए बिना भविष्य के हिसाब से फैसला
पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने इस संबंध में सभी वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर गठबंधन नहीं करने का फैसला लिया है। पार्टी रणनीतिकारों का कहना है कि बिना गठबंधन के पंचायत और निकाय चुनावों में परिणामों के उलटफेर की चिंता एक बार तो छोड़नी होगी। पार्टी की धरातल पर मजबूत पकड़ और लोगों से जुड़ाव रखने वाले नेताओं की संख्या बढ़ाने पर पार्टी फोकस करेगी तो कुछ जगह परिणामों के उल्टफेर के अलावा कोई बड़ी चिंता नहीं होगी। कई जिलों में बरसों से संगठन कुछ नेताओं के भरोसे और कमजोर बना हुआ है।
यहां संगठन में ऊर्जावान नेताओं को आगे बढ़ाने पर आगामी चुनावों के लिए पार्टी की पकड़ अभी से मजबूत करने के रास्ते पर चलना होगा। पार्टी भले ही पंचायत और निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ने का मानस तैयार कर चुकी है, लेकिन इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों से राजनीतिक जुड़ाव बरकरार रखेंगे। राज्य और केन्द्र में भाजपा सरकार को चुनौती देने के लिए कांग्रेस को सहयोगी दलों की जरूरत आगामी दिनों में बनी रहेगी, लिहाजा सत्तापक्ष के जनविरोधी मुद्दों पर विरोध करने के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता बनाए रखने की कांग्रेस की पहल जारी रहेगी।
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