बजट से उम्मीदें : पर्यटकों के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए बने मोबाइल एप, हेल्पलाइन भी शुरू हो

शहर में एडवेंचर एक्टिविटी पर भी कुछ हो, तो बढ़ सकता है पर्यटकों का ग्राफ

बजट से उम्मीदें : पर्यटकों के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए बने मोबाइल एप, हेल्पलाइन भी शुरू हो

राजस्थान के ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे और बुटीक होटलों को प्रोत्साहित करने की नीति बने। 

जयपुर। पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश अपनी एक अहम भूमिका रखता है। यहां के किले-महल अपनी सुंदरता के साथ ही पर्यटकों को अपने इतिहास से रूबरू करवाते हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दैनिक नवज्योति ने पर्यटन विशेषज्ञों से उनकी राय जानी। इस संबंध में उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि घरेलू हवाई सम्पर्क को बढ़ावा देना जरूरी है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर और जैसलमेर के बीच उड़ानों को सुगम बनाने के लिए ‘राजस्थान उड़ान योजना’ शुरू की जानी चाहिए। साथ ही प्रमुख पर्यटन केन्द्रों के बीच सीधी उड़ानों को प्रोत्साहित करने के लिए एयरलाइनों को सब्सिडी दी जाए। इसके अतिरिक्त पर्यटन स्थलों के पास भीड़भाड़ को कम करने के लिए जीपीएस-आधारित पार्किंग सिस्टम भी लागू किया जाए। इस बार बजट में इस ओर कुछ करने की जरूरत है। 

प्रदेश की विरासत और स्मारकों के रख-रखाव के लिए एक समर्पित बजट आवंटित किया जाए और पर्यटन स्थलों के पास संगठित पार्किंग सुविधाएं विकसित की जाएं। राज्यभर में यात्रा अनुभव को सुगम बनाने के लिए राजमार्गों और संकेतकों में सुधार किया जाए। जयपुर में एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन आयोजन किया जाए, जिसमें वैश्विक खरीदारों और प्रभावशाली व्यक्तियों को आमंत्रित कर राजस्थान की पर्यटन क्षमता को प्रदर्शित किया जाए। पर्यटकों के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए मोबाइल एप और हेल्पलाइन शुरू की जाए। जयपुर: पिंक सिटी नाइट टूर और हेरिटेज इल्यूमिनेशन वॉक शुरू की जाए। होटलों और रिसोर्ट्स को पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए सब्सिडी और प्रमाण-पत्र दिए जाए।
महेन्द्र सिंह राठौड़, अध्यक्ष, राटो 

हमारी इस बार पर्यटन को लेकर बजट से बहुत उम्मीदें हैं। हमारी मांग है कि होटल और कन्वेंशन सेंटर को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा दिया जाए, जिससे लंबी अवधि के लिए सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध हो सके। इससे निवेश बढ़ेगा और छोटे-मध्यम होटल व्यवसायों को विस्तार करने का मौका मिलेगा। होटल कमरों पर लगने वाले जीएसटी में कटौती की मांग है। खासकर 7500 रुपए से अधिक के टैरिफ  वाले होटलों पर। ऐतिहासिक स्थलों और हेरिटेज प्रोपर्टीज के संरक्षण के लिए विशेष बजट की घोषणा हो। राजस्थान के ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे और बुटीक होटलों को प्रोत्साहित करने की नीति बने। 
रोहित गर्ग, होटल व्यवसायी

इस बार बजट में पर्यटन को लेकर हमारी बहुत अपेक्षाएं हैं। प्रदेश के ऐतिहासिक स्मारकों और संग्रहालयों के रख-रखाव को लेकर बात हो। स्मारकों के रास्ते में यातायात निगरानी, सड़क की स्थिति और पार्किंग सुविधाओं में सुधार हो। जिससे पर्यटकों को असुविधा को सामना ना करना पड़े। खासकर रात्रि पर्यटन पर फोकस होना चाहिए। बजट में इसके लिए भी कुछ होना चाहिए। शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्पोर्ट्स, एडवेंचर एक्टिविटी भी शुरू होनी चाहिए, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को स्मारकों के साथ ही कुछ नया देखने को मिले। अगर बजट में इस ओर ध्यान दिया गया तो आने वाले समय में प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में और अधिक बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। 
खालिद खान, उपाध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटेलिटी एण्ड टूरिज्म ऑफ राजस्थान 

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अच्छी टूरिज्म फ्रेंडली पॉलिसी बनाने की जरूरत है

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टूरिज्म अर्थात पर्यटन राजस्थान की तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है, लेकिन रोजगार सृजन में ये नम्बर दो पर है। ये एक ऐसा उद्योग है, जिसमें सरकारी को केवल आधारभूत व्यवस्थाएं उपलब्ध करवानी है। बाकि का काम प्राइवेट सेक्टर अपने आप करता है। यदि सबसे बड़ी जरूरत है तो वो है अच्छी टूरिज्म फ्रेंडली पॉलिसी बनाने की है। आगामी बजट में जयपुर शहर के लिए इसकी यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए जाने की नितांत आवश्यकता है, क्योंकि जब भी लॉग वीकेंड पर टूरिस्ट बढ़ते हैं तो पूरा शहर हांफने लगता है। यदि इसकी कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई तो आगामी समय में पर्यटन के क्षेत्र में हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जलमहल के सौंदर्यीकरण तथा इसके रख-रखाव की भी बहुत जरूरत है। आमेर महल की ओर आवागमन की सुचारू व्यवस्था के लिए आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। आगामी बजट में सरकार इस पर संज्ञान लेगी तो जयपुर के पर्यटन को चार चांद लग जाएंगे। 
नरेन्द्र सिंह राठौड़, अध्यक्ष, टूरिस्ट गाइड फेडरेशन ऑफ इंडिया 

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