सरकार ने सौम्या गुर्जर को पद से किया बर्खास्त
चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया
स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर को पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार कर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भेजा था, जिस पर स्वीकृति मिलने के बाद विभाग ने आदेश जारी किए।
जयपुर। राजस्थान सरकार ने न्यायिक जांच रिपोर्ट के बाद नगर निगम जयपुर ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर को पद से हटा दिया है। स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर को पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार कर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भेजा था, जिस पर स्वीकृति मिलने के बाद विभाग ने आदेश जारी किए। इसके साथ ही सौम्या को अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया है। नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में सौम्या गुर्जर तत्कालीन नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच बैठक में विवाद हुआ था। इस दौरान बात इतनी बढ़ गई कि आयुक्त ने पार्षदों ने मारपीट और धक्का-मुक्की का आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और थाने में मामला दर्ज कराया।
प्रदेश सरकार ने सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह व शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रीय निदेशक को दी। जांच में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी को पद से निलंबित कर दिया और इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू कर दी। सरकार ने पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया। सौम्या को एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन आदेश स्टे दे दिया। सौम्या ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी। सौम्या और 3 पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया। सरकार ने पार्षद पारस जैन, अजय सिंह और शंकर शर्मा की सदस्यता खत्म कर दी और पद से हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कार्रवाई के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया।

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