अच्छे मानसून से इस साल 15 फीसदी तक बढ़ सकता है ग्राउण्ड वाटर लेवल

किसानों के चेहरे खिले हुए हैं

अच्छे मानसून से इस साल 15 फीसदी तक बढ़ सकता है ग्राउण्ड वाटर लेवल

ऐसे में भूजल स्तर को लेकर मानसून खत्म होने के बाद सर्वे शुरू होगा और इसके बाद प्रदेश के भूजल स्तर की वास्तविक हकीकत को लेकर रिपोर्ट सामने आएगी। 

जयपुर। यह प्रदेशवासियों को सुकून देने वाला है। इस साल प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है, जिससे भू-जल स्तर के 2 से 15 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि तो दो महीने बाद जारी होने वाली रिपोर्ट से होगी, लेकिन इस बार मानसून में हुई रिकॉर्ड बारिश से प्रदेशवासियों खासकर किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। पिछले 10 सालों में प्रदेश में 50 मीटर तक भू-जल स्तर गिरा है। गिरते भू-जल स्तर से सरकारों की चिंता भी बढ़ गई थी। बीते एक दशक में राजस्थान में भूजल की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। डार्क जोनों में सात शहरी इलाकों के 219 ब्लॉक अति दोहित है। ऐसे में इस मानसून सीजन प्रदेश में हुई रिकॉर्ड बारिश से कई सालों बाद प्रदेश में भूजल स्तर में बढ़ोतरी होने की उम्मीद बंधी है। प्रदेश में इस मानसून सीजन में जो बारिश हुई है, वो औसत बारिश से 58 फीसदी से भी ज्यादा है। इस सीजन प्रदेश में करीब 670 एमएम पानी बरसा है। ऐसे में भूजल स्तर को लेकर मानसून खत्म होने के बाद सर्वे शुरू होगा और इसके बाद प्रदेश के भूजल स्तर की वास्तविक हकीकत को लेकर रिपोर्ट सामने आएगी। 

ऐसे बांटे जाते हैं ब्लॉक
पानी के दोहन के आधार पर भूगर्भ जल को अलग-अलग ब्लॉक में बांटा जाता है। जहां 100 फीसदी से अधिक क्षमता से दोहन होता है, उन क्षेत्रों को अति दोहित या ओवर एक्सप्लोइटेड कैटेगरी में रखा जाता है। जिन क्षेत्रों में भूजल स्तर के 90 फीसदी तक पानी को निकाल लिया जाता है, उन्हें गंभीर श्रेणी में रखा जाता है। इसी तरह से सेमी क्रिटिकल की कैटेगरी में 70 से 90 फीसदी जल दोहन वाले क्षेत्र आते हैं, तो सुरक्षित ब्लॉक तब ही माना जाता है, जब कुल उपलब्ध जल की मात्रा में 70 फीसदी से कम का उपयोग किया जाता है। 

7 शहरों की हालत चिंताजनक
राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के सात शहर बेहद चिंताजनक हालत में हैं। इन शहरों में राजधानी जयपुर के अलावा अजमेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर और जैसलमेर शामिल हैं। खास तौर पर जयपुर में हालात चिंताजनक हैं। यहां सभी 16 ब्लॉक को अति दोहित श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें डार्क जोन कहा जा सकता है। प्रदेश के 29 जिले अति दोहन की श्रेणी वाले हैं। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी शहर अति दोहित क्षेत्र में आते हैं। वहीं जिन शहरों में फिलहाल पेयजल को लेकर स्थिति बेहतर है उनमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर, गंगानगर और हनुमानगढ़ का नाम शामिल है।

Tags: water

Post Comment

Comment List

Latest News

हरियाणा निकाय चुनाव : भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ में खिला कमल, बीजेपी का रोहतक समेत 9 निगमों पर कब्जा हरियाणा निकाय चुनाव : भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ में खिला कमल, बीजेपी का रोहतक समेत 9 निगमों पर कब्जा
हरियाणा निकाय चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 10 नगर निगम में से 9 पर जीत दर्ज कर...
सुसाइड नोट में परिवार से माफी मांगी : आंधी थाने में कांस्टेबल ने की जीवन लीला समाप्त, पुलिस महकमे में हड़कंप
देवनानी और मदन राठौड़ ने राज्यपाल से की मुलाकात, "नवाचारों का एक वर्ष" पुस्तक की भेंट 
भाजपा मंत्री उस आरएसएस की भाषा बोलते हैं, जिसने कभी महिलाओं का सम्मान नहीं किया : सारिका सिंह
पसली में चोट के बावजूद सलमान खान ने फिल्म 'सिकंदर के गाने बम बम भोले की शूटिंग पूरी की
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की आगामी फिल्म के अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल का खुलासा
होली पर सरस की सौगात : 2 नई मिठाइयों की लॉन्चिंग, जोराराम ने कहा- मिठाई के बाजार में सरस के आने से उपभोक्ताओं में विश्वास