ग्राम पंचायतों के मुख्यालय बदलने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
राज्य सरकार ने धौलपुर व करौली जिला कलक्टर की ओर से भेजे प्रस्तावों को नहीं मानते हुए गत 20 नवंबर को मनमाने तरीके से संबंधित ग्राम पंचायतों के मुख्यालय बदल दिए
याचिकाओं में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत मालपुरा ने अदालत को बताया कि पंचायती राज विभाग ने गत 10 जनवरी को पंचायती राज अधिनियम की धारा 101 के तहत पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्सीमांकन, नवसृजन और पुनर्गठन के लिए जिला कलक्टर से प्रस्ताव मांगे थे।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्राम पंचायत के मुख्यालयों को बदलने से जुडे अलग-अलग मामलों में राज्य सरकार और टोंक, धौलपुर व करौली जिलों के कलक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने यह आदेश करौली जिले की ग्राम पंचायत सेंगरपुरा, टोंक जिले की ग्राम पंचायत चावड़िया के अर्जुन लाल और धौलपुर जिले की ग्राम पंचायत चित्तौरा के मुन्ना लाल शर्मा की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाओं में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत मालपुरा ने अदालत को बताया कि पंचायती राज विभाग ने गत 10 जनवरी को पंचायती राज अधिनियम की धारा 101 के तहत पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्सीमांकन, नवसृजन और पुनर्गठन के लिए जिला कलक्टर से प्रस्ताव मांगे थे।
नियमानुसार दूरी अधिकतम पांच किलोमीटर से अधिक नहीं हो सकती: राज्य सरकार ने धौलपुर व करौली जिला कलक्टर की ओर से भेजे प्रस्तावों को नहीं मानते हुए गत 20 नवंबर को मनमाने तरीके से संबंधित ग्राम पंचायतों के मुख्यालय बदल दिए। इसके अलावा करौली जिले से जुडे मामले में पंचायत मुख्यालय करीब 14 किलोमीटर दूर कर दिया, जबकि नियमानुसार यह दूरी अधिकतम पांच किलोमीटर से अधिक नहीं हो सकती।
अधिकारियों से जवाब तलब किया
याचिकाओं में कहा गया कि इन ग्राम पंचायत मुख्यालयों में पहले से ही राज्य सरकार से सभी कार्यालय मौजूद हैं। इसके बावजूद भी सरकार ने मनमाने तरीके से अधिसूचना जारी कर इनके मुख्यालय बदल दिए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

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