परीक्षार्थी की जनेऊ उतरवाने से आहत हूं, धर्मरक्षकों ने मौन साध रखा, इसे रोकें: यूनुस खान
परीक्षार्थी की जनेऊ उतारने से नाराज हुए मुस्लिम विधायक
यूनुस ने सीएम को लिखा पत्र जिन्होंने जनेऊ उतरवाई, उन पर सख्त कार्रवाई की मांग
जयपुर। भाजपा छोड़कर विधानसभा चुनावों में डीडवाना से निर्दलीय विधायक बने पूर्व मंत्री यूनुस खान ने परीक्षार्थियों की परीक्षा केन्द्र पर जनेऊ उतारने के मामले में सीएम को पत्र लिखा है। मांग की है कि ऐसी घटना में मेरा मन भारी आहत हुआ है। कथित धर्मरक्षकों ने इस पर मौन साध रखा है। इसे रोका जाए।
यूनुस ने अपने पत्र में लिखा है कि परीक्षाओं की पारदर्शिता से जरा भी समझौता नहीं होना चाहिए, लेकिन परीक्षा में परीक्षार्थियों के साथ हो रहे अन्याय से आहत होकर मुझे पत्र लिखना पड़ रहा है। 28 सितम्बर को सीईटी स्नातक में बांसवाड़ा से जयपुर में परीक्षा देने आए परीक्षार्थी हरने दवे से जांच के नाम पर उनकी जनेऊ उतरवाई गई। उसका सेंटर टोंक फाटक स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में आया था। इस धर्म संस्कार विरोधी घटना से मन आहत है।
उन्होंने कहा कि दुखद आश्चर्य है कि यह घटना तब हुई है जब प्रदेश में आप जैसे व्यक्तित्व के धनी सीएम हैं। जो जनेऊ की अनिवार्यता और उसके वैदिक एवं पौराणिक महत्व से परिचित हैंं। यह दुखद है कि प्रदेश में इस प्रकार की घटनाएं निरंतर हो रही है और धर्मरक्षकों ने मौन साध रखा है।
ऐसे वेद विरोधी कार्यों को रोकने के लिए तुरंत निर्देश दें
उन्होंने कहा कि मेरी आपसे प्रार्थना है कि इस प्रकरण में तुरंत प्रसंज्ञान लेकर इस प्रकार के वेद विरोधी कार्यों को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को अविलंब निर्देश दें। साथ ही इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि खान को पिछले चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया। वे पूर्व वसुन्धरा सरकार के वक्त पीडब्ल्यूडी, परिवहन मंत्री रह चुके हैं। तब वे भाजपा का बड़ा मुस्लिम चेहरा रहे थे।
जनेऊ का पौराणिक महत्व भी बता डाला
खान ने पत्र में कहा है कि प्राचीनतम संकेत वैदिक तैतिरीय संहिता में जनेऊ का महत्व बताया गया है। देवलस्मृति में स्पष्ट लिखा है कि वेदादि-तत्वों के जिज्ञासु दविज एक क्षण के लिए भी जनेऊ से रहित नहीं होते। मनु जैमिनि और कुमारिल भट्ट ने जनेऊ की महिमा में बहुत कुछ लिखा है।
कहा कि बोधायन-गृहयसूत्र का कथन है-
यज्ञोपवीत परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात।
आयुष्यमद्यं प्रतिमुऋच शुभं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज:।
Comment List