महाअष्टमी की भव्य पूजा और संधि पूजा में मां दुर्गा बनी महिषासुरमर्दिनी : भक्तों की चहल-पहल से गूंजा पंडाल, भक्त हुए मंत्रमुग्ध
विशेष पूजा विधि-विधान से सम्पन्न हुई
दुर्गा पूजा महोत्सव की महाअष्टमी भक्ति, उल्लास और रंगारंग उत्सव का अद्भुत संगम बन गया।
जयपुर। सी-स्कीम स्थित जय क्लब लॉन में प्रबासी बंगाली कल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा महोत्सव की महाअष्टमी भक्ति, उल्लास और रंगारंग उत्सव का अद्भुत संगम बन गया। सुबह से ही पंडाल भक्तों की चहल-पहल से गूंज उठा, और हर ओर “जय मां दुर्गा” के उद्घोष और ढाक की तालों ने वातावरण को दिव्य बना दिया। प्रातःकाल की आरती के बाद श्रद्धालुओं ने पुष्पांजलि अर्पित की और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया। अष्टमी की विशेष पूजा विधि-विधान से सम्पन्न हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
दोपहर में बच्चों और युवाओं के लिए आयोजित खेल प्रतियोगिताओं ने उत्साह की लहर पैदा की। साथ ही बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता ने उनके सृजनात्मक कौशल को मंच पर प्रस्तुत किया और दर्शकों का मन मोह लिया। महिलाओं और पुरुषों के लिए आयोजित शंख वादन प्रतियोगिता ने भी पंडाल में श्रद्धा, भक्ति और संगीत का वातावरण बना दिया।
इसके बाद हुई संधि पूजा ने भक्तों के हृदयों को झकझोर दिया। यह पूजा अष्टमी और नवमी की संधि में की जाती है, जब अष्टमी समाप्त होकर नवमी प्रारंभ होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी संधिकाल में मां दुर्गा ने असुरराज महिषासुर का वध किया था, और तभी से वे महिषासुरमर्दिनी के रूप में पूजित होती हैं। पूरे पंडाल में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, और १०८ दीपों की लौ तथा १०८ पुष्पों की पुष्पांजलि ने वातावरण को भक्ति और दिव्यता से भर दिया। इस अवसर पर मां दुर्गा का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें लाल परिधान, फूल और आभूषणों ने उनके चामुंडा रूप को और भी अलौकिक बना दिया।
संधि पूजा के उपरांत भोग प्रसादी में खिचड़ी, चोच्चौड़ी, सब्जी और खीर का वितरण हुआ, जिसे भक्तों ने प्रसाद रूप में ग्रहण कर आनंदित होकर मां की कृपा का अनुभव किया। शाम को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने महाअष्टमी का जश्न और रंगीन बना दिया। इस अवसर पर अनामिका शर्मा द्वारा प्रस्तुत नृत्य ने पूरी सांस्कृतिक शाम को और भी खास बना दिया। गीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुति ने पूरे उत्सव को अविस्मरणीय बना दिया।
अध्यक्ष डॉ. एस.के. सरकार ने कहा कि, “महाअष्टमी और संधि पूजा, मां दुर्गा की दिव्य शक्ति का प्रतीक है। यह हमें सामूहिक भक्ति, साहस और एकता का अनुभव कराती है।” भक्तों ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। एक श्रद्धालु ने कहा कि संधि पूजा के समय मां दुर्गा का श्रृंगार देखकर आंखें भर आईं, ऐसा लगा मानो मां हमारे बीच ही विराजमान हैं। बच्चों के बीच उत्साह का माहौल देखकर हर कोई प्रसन्न हुआ, और एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने कहा कि संधि पूजा का दृश्य उनकी आत्मा को छू गया और अष्टमी का दिन उनके लिए हमेशा खास रहेगा।

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