जल जीवन मिशन के तोड़े नियम: पानी की गुणवत्ता जांच का पैसा स्लोगन-वॉल पेटिंग पर बहाया
बजट का 2 फीसदी करना था खर्च, लेकिन 13.93 से 32.08 करोड़ कर लिया बजट
जिलों में जांच लैब-किट बनाने के 1815.37 लाख रुपए की कर दी कटौती
जयपुर। प्रदेश में जल जीवन मिशन में एक करोड़ से ज्यादा घरों में हर घर नल का काम चल रहा है। पानी की गुणवत्ता जांच की लैब्स और जागरूकता पर भी पैसे का अलग मद रखा है, लेकिन मिशन का पैसा अफरशाही की भेंट चढ़ रहा है। 2021-22 बजट में 2 फीसदी पैसा आईईसी गतिविधियों और पानी की गुणवत्ता पर खर्च करने का केन्द्र सरकार ने नियम को तोड़कर अफसरों ने 13.93 करोड़ की जगह 32.08 करोड़ रुपए का बजट करवा लिया। हद तो तब हो गई जब इस पैसे को पानी की गुणवत्ता जांच पर 1815.37 करोड़ रुपए की भी कटौती कर दी। इस पैसे से पानी की जांच को जिलों में लैब्स को अपग्रेडेशन पर खर्च करना था। साथ ही पानी जांच के किट खरीदने थे ताकि गुणवत्ता युक्त पानी पिलाया जा सके। लैब्स अपग्रेडेशन के 1641.37 लाख और जांच किट खरीदने के 174.18 लाख बजट से कम कर दिए। अन्य मदों से भी पैसा काटा गया। 2.10 करोड़ की जगह 20.83 करोड़ तो केवल दीवारों पर स्लोगन-वॉल पेंटिंग में खर्च किए और अधिकारियों ने चहेती फर्मों को स्लोगन लिखने, सनबोर्ड, डिजिटल पेटिंग को ठेके दे दिए।
घर तक जलापूर्ति में नहीं दिखी फुर्ती : 18500 करोड़ हर-घर नल में खर्च नहीं कर पाए
मिशन में अगस्त, 2019 से अब तक जलदाय विभाग को 22 हजार करोड़ रुपए केन्द्र से आवंटित हुए, लेकिन अफसरों ने हर घर नल कनेक्शन कर जलापूर्ति सुनिश्चित करने में फुर्ती नहीं दिखाई। केवल 3500 करोड़ रुपए ही खर्च किए, इसके चलते 18500 करोड़ रुपए का बजट लैप्स हो गया।
मिशन के फंड से 2% पैसा इन कामों पर खर्च होने का ही नियम है। जलदाय विभाग की इकाई वॉटर सैनिटेशन सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक स्तर से फाइल चली थी। अफसरों से निर्देश मिला तो बजट बढ़ाया। -दिनेश गोयल, चीफ इंजीनियर, जलजीवन मिशन, राजस्थान
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