वर्ल्ड हेल्थ डे पर विशेष: संसाधनों की कमी के साथ युवा डॉक्टर कर रहे हैं अपनी पारी की शुरुआत

वर्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर ऐसे ही शहर के कुछ युवा और सीनियर डॉक्टर से नवज्योति ने यह जाना कि उनके सामने क्या चुनौतियां पेश आ रही हैं और आगे इन चुनौतियों का कैसे सामना करेंगे।

वर्ल्ड हेल्थ डे पर विशेष: संसाधनों की कमी के साथ युवा डॉक्टर कर रहे हैं अपनी पारी की शुरुआत

रिटायरमेंट के नजदीक पहुंचे डॉक्टर कर रहे अगली पारी की तैयारी

जयपुर। राजस्थान में मेडिकल के क्षेत्र में जाने के लिए युवाओं में रूचि काफी बढ़ी है। सरकारी सेवा में भी युवा डॉक्टर काफी जोश के साथ काम कर रहे हैं। हालांकि युवा डॉक्टरों का कहना है कि इस दौरान उन्हें सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी और मरीजों के भार से जूझना पड़ता है, लेकिन इससे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिलता है। वहीं रिटायर्ड हो चुके या रिटायरमेंट के नजदीक पहुंच चुके डॉक्टर इन चुनौतियों को पार कर आज भी पूरी शिद्दत से मरीजों की सेवा में लगे हैं।


वर्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर ऐसे ही शहर के कुछ युवा और सीनियर डॉक्टर से नवज्योति ने यह जाना कि उनके सामने क्या चुनौतियां पेश आ रही हैं और आगे इन चुनौतियों का कैसे सामना करेंगे।

सरकारी हेल्थ सिस्टम ने हमें समाज सेवा करने का सुनहरा मौका दिया है, जहां हम गरीब और जरूरतमंद लोगों को निशुल्क व अच्छा इलाज दे पाते हैं। साथ ही चिकित्सक और मरीज के बीच विश्वास कायम रखने की हरसंभव कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार अधिक मरीज होने के कारण हमे संसाधनों की कमी का सामना भी करना पड़ता है।
-डॉ. सुचित्रा, गढ़वाल, असिस्टेंट प्रोफेसर, जनरल मेडिसिन एसएमएस अस्पताल

मुझे गवर्नमेंट सर्विस ज्वाइन करके अच्छा लग रहा है। सरकारी क्षेत्र में अपने कौशल को दिखाने का पूरा अवसर मिलता है। हां कुछ दिक्कतें जरूर हैं, जिनमें ओपीडी में बहुत व्यस्त होने के कारण कभी-कभी हमें मरीजों की काउंसलिंग के लिए कम समय मिल पाता है।
-डॉ. अंबिका शर्मा, सहायक आचार्य, श्वसन रोग संस्थान, एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का अहसास सुखद लगता है। बड़े अस्पतालों में मरीजों का भार कम करने और गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए पेरिफेरल हेल्थ सर्विसेज को और मजबूत करने की जरूरत है। वहीं स्वास्थ्यकर्मियों की कमी दूर करना, मजबूत चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा भी मुख्य पहलू हैं।
-डॉ. योगेश स्वामी, असिस्टेंट प्रोफेसर, जनरल मेडिसिन, एसएमएस अस्पताल

मेरी 40 साल की सर्विस हो चुकी है। इस दौरान मुझे कभी भी सरकारी सेवा से दिक्कतें नहीं हुई। हमेशा मरीजों को भगवान और अस्पताल को मंदिर समझकर सेवा की है। इस पेशे की खासियत है कि सरकारी सेवा से तो हम रिटायर हो जाते हैं, लेकिन मरीजों की सेवा से नहीं होते। मैं अगस्त में रिटायर होने वाला हूं पर आगे भी मरीजों का इलाज इसी तरह करता रहूंगा।
-डॉ. आरके सोलंकी, सीनियर प्रोफेसर एंड यूनिट हैड, मनोचिकित्सा विभाग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज

मैं आज जो कुछ भी हूं वो सब इस सरकारी सेवा और मरीजों के प्यार के कारण ही हूं। मुझे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन सभी चुनौतियों को अवसर के तौर पर लिया और आगे बढ़े। वर्तमान समय में मरीजों और डॉक्टरों के बीच बेहतर रिलेशनशिप जरूरी है। रिटायरमेंट में करीब डेढ़ साल का वक्त है। मेरी कोशिश रहेगी कि इस रिलेशनशिप को कायम रखकर मरीजों की सेवा करूं।
-डॉ. डीएस मीणा, सीनियर प्रोफेसर, ऑर्थोपेडिक्स, एसएमएस अस्पताल

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