डॉक्टर या मेडिकल कर्मी पर नहीं होगी सीधे एफआईआर, पहले डॉक्टर्स कमेटी की रिपोर्ट जरूरी: गृह विभाग ने जारी की एसओपी

रिपोर्ट आने के बाद ही एफआईआर दर्ज कर सकेगी

डॉक्टर या मेडिकल कर्मी पर नहीं होगी सीधे एफआईआर, पहले डॉक्टर्स कमेटी की रिपोर्ट जरूरी: गृह विभाग ने जारी की एसओपी

अस्पतालों में मरीजों के साथ गलत इलाज या मृत्यु के मामले में अब डॉक्टर या मेडिकल कर्मी के असावधानी के मामले में सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी।

जयपुर। अस्पतालों में मरीजों के साथ गलत इलाज या मृत्यु के मामले में अब डॉक्टर या मेडिकल कर्मी के असावधानी के मामले में सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी। पुलिस संबंधित मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की टीम की रिपोर्ट आने के बाद ही एफआईआर दर्ज कर सकेगी। इस तरह के बढ़ते मामलों पर डॉक्टर और मेडिकलकर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद प्रदेश सरकार ने ऐसे प्रकरणों के लिए एसओपी जारी की है। गृह विभाग ने जारी एसोओपी में कहा कि कई बार मरीजों के परिजन आधी अधूरी जानकारी के आधार पर ही डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के खिलाफ ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा देते है। इसके चलते टकराव होने से डॉक्टर और मेडिकल कर्मी बार-बार हड़ताल पर चले जाते है। कई बार ऐसे मामले कोर्ट में भी गए, जिनमें अलग-अलग आदेश सरकार को मिले। इन सभी को ध्यान में रखते हुए एसओपी की जारी की गई है।

ऐसे मामलों पर प्रारंभिक जांच के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। थाना इंचार्ज को ऐसे प्रकरणों में संबंधित मेडिकल कॉलेज के सीएमएचओ को एक एप्लीकेशन देनी होगी। सीएमएचओ वरिष्ठ डॉक्टरों की कमेटी गठित कर मामले की निष्पक्ष जांच कराते हुए 3 दिन में रिपोर्ट देंगे। किसी मरीज की मृत्यु के मामले में कमेटी का गठन अनिवार्य होगा। इसमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर को शामिल किया जाना जरूरी होगा। कमेटी को रिपोर्ट देने का समय बढ़ाने के लिए सीएमएचओ ही अधिकृत होंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें कारण भी बताने होंगे। कमेटी की रिपोर्ट में अनियमितता साबित होने पर ही थाना इंचार्ज एफआईआर दर्ज कर सकेगा। कोर्ट में केस आरोप-पत्र पेश होने के बाद ही डॉक्टर या मेडिकल कर्मी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी जा सकेगी। अनियमितता मामलों में डॉक्टर या मेडिकल कर्मी को एसपी या एडिशनल एसपी की अनुमति के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकेगा।
डॉक्टर या मेडिकल कर्मी को गिरफ्तार करने के आदेश तभी दिए जाएंगे, जब थाना इंचार्ज लिखित में सबूतों के साथ यह पेश करेगा कि डॉक्टर या मेडिकल कर्मी जांच में सहयोग नहीं कर रहा या अभियोजन स्वीकृति से बचने के लिए स्वयं को छुपा रहा हो। पुलिस को भी डॉक्टर या मेडिकल कर्मी के खिलाफ आए मामलों पर कार्रवाई करनी होगी।

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