जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल : दियासलाई बाय कैलाश सत्यार्थी बुक की लॉन्चिंग, गोखले ने कहा- कैलाश सत्यार्थी की सादगी से मैं प्रभावित हुई हुं
अशोक माहेश्वरी ने पुस्तक दियासलाई के बारे में जानकारी दी
जेएलएफ में गुरुवार को बैठक में दोपहर एक बजे से 1:50 तक फर्स्ट एडिशन : दियासलाई बाय कैलाश सत्यार्थी बुक की लॉन्चिंग की गई
जयपुर। जेएलएफ में गुरुवार को बैठक में दोपहर एक बजे से 1:50 तक फर्स्ट एडिशन : दियासलाई बाय कैलाश सत्यार्थी बुक की लॉन्चिंग की गई। इस अवसर पर नमिता गोखले, सुमेधा कैलाश और अशोक माहेश्वरी उपस्थित रहे। बुक लॉन्च के अवसर पर नमिता गोखले ने कहा कि हम कई सालों से कोशिश कर रहे थे कि कैलाश सत्यार्थी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आएं। आज हमारी ये इच्छा पूरी हो गई है। दियासलाई टाइटल ने मुझे प्रभावित किया है। कैलाश सत्यार्थी बहुत ही सादगी से रहते है। जिससे मैं प्रभावित हुई हूं।
वहीं अशोक माहेश्वरी ने कैलाश सत्यार्थी की नई पुस्तक दियासलाई के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये किताब हमें सदैव अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। सत्र में कैलाश सत्यार्थी ने शुरुआत एक कविता से की। उन्होंने कविता कही कि कल मैंने एक मोमबत्ती जलाई थी आसपास के अंधेरे को दूर करने के लिए, लेकिन आपने इसे बचपन की फितरत कहकर बुझा दी। ये कविता मैंने करीब 17 साल की उम्र में लिखी थी। सत्र के दौरान पुनीता रॉय ने सत्यार्थी के साथ बातचीत की। सत्र में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि मैंने जाति, धर्म से परे हटकर अपना नाम कैलाश शर्मा से बदलकर कैलाश सत्यार्थी रख लिया। आज दुनिया जितनी अमीर है, उससे पहले कभी नहीं थी। बाल मजदूरी पर उन्होंने बोलते हुए कहा कि साल 2008 में बाल मजदूरी का आंकड़ा 25 करोड़ थी, जो साल 2015 में इसकी संख्या घटकर 15 करोड़ जरूर हुई, लेकिन साल 2016 में ये संख्या 16 करोड़ पर पहुंच गई। मेरी जिंदगी में 50 साल से एक ख्वाहिश थी कि मैं किसी नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ फोटो खिंचवाउ। जब मुझे नोबेल पुरस्कार मिला तो घर आकर मैंने शीशे के सामने खड़ा होकर मोबाइल से खूब अपने फोटोज खींचे। आज के जमाने में देखने को मिल रहा है कि आगे बढ़ने के लिए हम दूसरों को धक्का देकर आगे बढ़ रहे हैं। कहा जाए तो आजकल लोग नकली जिंदगी जीना सीख रहे हैं।
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