17 मई वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे आज : जीवन की आपाधापी ने बढ़ाया हाइपरटेंशन, शहरों में 33, गांवों में 25% बीपी के मरीज
हार्ट, ब्रेन और किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली बीमारी है हाइपरटेंशन
सीनियर फिजिशियन एंड क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ. पंकज आनंद ने बताया कि अगर खानपान और लाइफस्टाइल को बेहतर बना लिया जाए तो हाइपरटेंशन के खतरे को कम किया जा सकता है।
जयपुर। भागदौड़ भरी जिंदगी, पैसा कमाने की होड़, काम का बोझ और ना जाने कितने ही कारण से जिनसे आज हर व्यक्ति तनाव में जी रहा है। यही तनाव हाइपरटेंशन को जन्म देता है। हार्ट, ब्रेन और किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली बीमारी हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर के बारे में भारतीयों को अन्य देशों की तुलना में जानकारी का अभाव है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन एनसीबीआई में पब्लिश हुई रिपोर्ट के अनुसार भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत लोग और शहरी क्षेत्रों में 58 प्रतिशत लोगों को मालूम ही नहीं कि उन्हें हाइपरटेंशन जैसी गंभीर बीमारी है। अगर इसे नजरंदाज करते हैं तो मरीज को हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज, एक्यूट किडनी फेलियर जैसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राम चितलांगिया ने बताया कि हाइपरटेंशन के मामले महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। भारत में 27 प्रतिशत पुरुषों और 20 प्रतिशत मामले महिलाओं में हाइपरटेंशन के मामले सामने आ रहे हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की बात की जाए तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हाइपरटेंशन के 25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 33 प्रतिशत मरीज हैं। राजस्थान में यह आंकड़ा ग्रामीण में 18.3 प्रतिशत और शहर में 26.1 प्रतिशत है। गांवों में 25 प्रतिशत और शहरों में 38 प्रतिशत मरीज ही इसका इलाज करवा रहे हैं।
बढ़ रहा हाइपरटेंसिव हार्ट डिजीज से मौतों का आंकड़ा
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सौम्यता शर्मा का कहना है कि लंबे समय तक हाइपरटेंशन होने से हार्ट कमजोर हो जाता है और हार्ट फेलियर होने के वाली मृत्यु दर बढ़ रही है। करीब 62 प्रतिशत हार्ट फेलियर के मामलों के पीछे का कारण हाइपरटेंशन है। किडनी से जुड़ी समस्याएं जैसे नेफ्रोपैथी, रीनल आर्टरी स्टेनोसिस में भी हाइपरटेंशन बड़ा कारण है।
हाइपरटेंशन से बचने के लिए क्या करें
सीनियर फिजिशियन एंड क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ. पंकज आनंद ने बताया कि अगर खानपान और लाइफस्टाइल को बेहतर बना लिया जाए तो हाइपरटेंशन के खतरे को कम किया जा सकता है। अगर हाइपरटेंशन की चपेट में आ गए हैं तो सबसे पहले इसका इलाज करवाएं, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर हार्ट अटैक तक आ सकता है। अगर किसी की फैमिली में कभी हाइपरटेंशन की समस्या रही है तो ऐसे लोगों को नियमित तौर पर जांच करवाते रहना चाहिए। साथ ही 18 साल की उम्र के बाद सभी को कम से कम साल में दो बार बीपी चेक करवना चाहिए।
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