बाल मंदिर में गीता बजाज को समर्पित प्रेरक कार्यक्रम, कृष्णा जसदेव सिंह ने 75 वर्ष की जीवन यात्रा व संस्था विकास यात्रा को भावपूर्ण शब्दों में किया याद
सभी ने स्व. गीता बजाज के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की
गीता मिस्थर सभागार में बाल मंदिर संस्थापिका स्व. गीता बजाज की प्रेरक स्मृतियों को समर्पित कार्यक्रम आयोजित हुआ। उनकी सुपुत्री व संरक्षिका कृष्णा जसदेव सिंह ने गीता बजाज के 75 वर्षों की जीवन यात्रा, संघर्ष, मूल्यों और संस्था के विकास का भावपूर्ण वृतांत साझा किया। पदाधिकारियों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों व अभिभावकों की उपस्थिति में सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
जयपुर। बाल मंदिर की संस्थापिका गीता बजाज के जीवन की प्रेरक स्मृतियों को समर्पित विशेष कार्यक्रम गीता मिस्थर सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उनकी सुपुत्री तथा संस्था की आजीवन संरक्षिका कृष्णा जसदेव सिंह ने गीता बजाज के 75 वर्षों की संपूर्ण जीवन यात्रा पर अत्यंत भावपूर्ण और विस्तृत वृतांत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारी, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएँ, पूर्व छात्र और अनेक अभिभावक उपस्थित रहे। कृष्णा दीदी ने बाल मंदिर की स्थापना से लेकर उसके निरंतर विकास तक के संघर्ष, चुनौतियों और उपलब्धियों को अपने व्यक्तिगत अनुभवों के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि स्व. गीता बजाज का पूरा जीवन सादगी, त्याग, नैतिक मूल्यों और रचनात्मकता को समर्पित था और उन्होंने शिक्षा के माध्यम से संस्कारयुक्त समाज निर्माण का सपना देखा था।
कृष्णा दीदी ने यह भी स्मरण कराया कि लगभग 18 वर्षों तक उन्होंने स्व. जसदेव सिंह जी के साथ मिलकर संस्था के संचालन की जिम्मेदारियाँ निभाईं, जिससे बाल मंदिर को निरंतर प्रगति और मजबूती मिली।
कार्यक्रम के अंत में सभी ने स्व. गीता बजाज के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। बाल मंदिर परिवार ने इस आयोजन को प्रेरणा, सीख और कृतज्ञता से भरा अविस्मरणीय अवसर बताया।

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