राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का 10वां दीक्षांत समारोह आयोजित : जिस साल स्टूडेंट डिग्री पूरी करे, उसी साल डिग्री दी जाए- राज्यपाल
स्टूडेंट केवल डिग्री लेने तक सीमित, बौद्धिक ज्ञान की कमी
डीएम और एमसीएच पाठ्यक्रमों में 16 महिलाएं थीं, जबकि पीएचडी उपाधि प्राप्त करने वाले 21 में से 15 महिलाएं रहीं।
जयपुर। विश्वविद्यालय में जिस वर्ष विद्यार्थी की शिक्षा पूरी हो, उसी साल दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाना चाहिए। जब परीक्षा साल 2023 में हो गई तो डिग्रियां 2025 में क्यों बांटी जा रही हैं। इसमें सुधार की जरूरत है। विद्यार्थियों को समय पर डिग्री मिले, इसके लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाएं। ताकि डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करने वाले स्टूडेंट्स को अपनी प्रैक्टिस करने के लिए इंतजार न करना पड़े। यह बात मंगलवार को बिड़ला सभागार में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कही। उन्होंने मौजूद स्टूडेंट्स और डॉक्टर्स से कहा कि इंजीनियर, डॉक्टर्स में आज प्रतिभा की कमी है। ये सुनने में बड़ा अजीब लगता है। इसके पीछे कारण टैलेंट की कमी है। आज स्टूडेंट केवल डिग्री लेने तक सीमित है, जबकि उसको बौद्धिक ज्ञान नहीं मिल रहा है। उन्होंने चिकित्सकों से कम से कम दवा से रोग निदान की मानसिकता के लिए कार्य करने पर जोर दिया।
शैक्षणिक रिकॉर्ड होगा डिजिटलाइज्ड
राज्यपाल ने इस अवसर पर नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी पोर्टल का बटन दबाकर डिजिटल शुभारंभ किया। इसमें विश्वविद्यालय द्वारा योग्य अभ्यर्थियों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड किया जाएगा। इससे पहले उन्होंने डॉ. विश्व मोहन कटोच को बायोमेडिकल रिसर्च में अप्रतिम योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस मेडिसिन की मानद उपाधि प्रदान की। उन्होंने मेडिसिन, दंत, फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथैरेपी एवं आॅक्यूपेशनल, पैरामेडिकल संकाय के विद्यार्थियों को पदक एवं उपाधियां प्रदान की। इस दौरान पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं पूर्व आचार्य और विभागाध्यक्ष, कार्डियोलॉजी, एम्स डॉ. के.के. तलवार ने दीक्षांत व्याख्यान दिया। कुलगुरु प्रो. (डॉ.) प्रमोद येवले ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के दौरान जाने लगे डॉक्टर्स, राज्यपाल हुए नाराज : दीक्षांत समारोह के दौरान जिन डॉक्टर्स को डिग्रियां मिलती गई वे धीरे धीरे उठकर बाहर जाने लगे। इस पर राज्यपाल नाराज हो गए। उन्होंने मंच से ही माइक लेकर कार्यक्रम छोड़कर जा रहे डॉक्टर्स को टोका। राज्यपाल ने कहा कि जिन डॉक्टर्स ने अभी सर्टिफिकेट लिए हैं वो बाहर जा रहें हैं। आपको काम है और यहां आने वालों को कोई काम नहीं है क्या। उन्होंने मंच से ही विश्वविद्यालय प्रशासन से डॉक्टर्स को बाहर जाने के लिए रोकने को कहा।
समारोह में महिलाओं ने लहराया परचम
समारोह में कुल 134 प्रतिभागियों में से 39 महिलाएं थीं। डीएम और एमसीएच पाठ्यक्रमों में 16 महिलाएं थीं, जबकि पीएचडी उपाधि प्राप्त करने वाले 21 में से 15 महिलाएं रहीं। यूजी पाठ्यक्रमों में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले नौ में से आठ स्वर्ण पदक महिलाओं को प्रदान किए गए।
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