एनसीआर का नए सिरे से पुनर्गठन, राजस्थान का 7000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बाहर
2030 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र, दूसरे राज्यों के क्षेत्र भी बाहर
आरपी-2041 को मार्च 2022 तक अंतिम रूप दिया जाएगा
जयपुर। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का नए सिरे से पुनर्गठन लगभग फाइनल हो गया है, मार्च में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। नए मापदण्डों के आधार पर पुनर्गठन से राजस्थान का करीब 7000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र एनसीआर से बाहर हो गया है, अब केवल करीब 6000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही एनसीआर में रह सकेगा।
आरपी-2041 को मार्च 2022 तक अंतिम रूप दिया जाएगा
दरअसल, दिल्ली के केन्द्र बिन्दु से 100 किलोमीटर की परिधि में क्षेत्र रखा गया है। इसके चलते भरतपुर और अलवर के क्षेत्र इस दायरे से बाहर आ रहे है, जबकि इनके कुछ क्षेत्रों के तो वर्ष 2020 में सब रीजन प्लान भी तैयार किए गए है। इस परिधि में किसी तहसील का 50 प्रतिशत या इससे अधिक क्षेत्र आता है तो उस तहसील का पूरा क्षेत्र एनसीआर में शामिल रहेगा। एनसीआर में बढ़ते शहरीकरण के साथ यह क्षेत्र 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला क्षेत्र बनने जा रहा है। एनसीआर के मौजूदा क्षेत्र के जिन शहरी क्षेत्रों में मास्टर प्लान बन चुके है, वे इलाके भी एनसीआर में शामिल होंगे। ऐसे नेशनल राजमार्ग और राज्य राजमार्ग जो वर्तमान में जितनी लंबाई तक क्षेत्र में शामिल है, इन राजमार्गों उस लंबाई तक दोनों तरफ एक-एक किलोमीटर का इलाका भी शामिल किया जाएगा। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने केन्द्र के समक्ष अनुरोध करते हुए कहा था कि एनसीआर में शामिल राजस्थान के अलवर व भरतपुर जिलों को पूरी तरह से शामिल रखा जाए।
क्षेत्रीय योजना-2041 का प्रारूप तैयार
बोर्ड ने कुछ संशोधनों के साथ मसौदा क्षेत्रीय योजना-2041 का प्रारूप तैयार किया। इस प्रारूप पर राज्यों से आपत्ति व सुझाव मांगे गए थे। आरपी-2041 को मार्च 2022 तक अंतिम रूप दिया जाएगा। केन्द्र का मानना है कि एनसीआर में बढ़ते शहरीकरण के साथ यह क्षेत्र 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला क्षेत्र बनने जा रहा है, जो इस क्षेत्र के भविष्य के लिए बड़ी चुनौती उत्पन्न करेगा। आरपी-2041 के मसौदे में जनसंख्या अनुमान को लेकर राज्यों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। राज्य अगले बीस वर्षों के लिए अपने अनुमानों और उनके बुनियादी ढ़ांचे और अन्य विकास आवश्यकताओं के अनुसार आंकड़े ले सकते है।
ग्रामीण क्षेत्र में उद्योगों को फायदा
एनसीआर से जिन क्षेत्रों को बाहर रखा गया है, उनमें शहरी व ग्रामीण दोनों शामिल है। शहरी क्षेत्रों में संबंधित निकाय की ओर से विकास कार्य होते रहेंगे, प्लानिंग बोर्ड से वित्तीय सहायता नहीं मिल सकेगी, जबकि जो ग्रामीण क्षेत्र बाहर हुआ है, उस क्षेत्र में यह फायदा रहेगा कि वहां पर किसी तरह का उद्योग लगाने के लिए जो पहले एनजीटी सहित कई एनओसी लेनी पड़ती थी, अब उनसे राहत मिल सकेगी।
इसका भविष्य में पता चल सकेगा कि क्या नुकसान होगा। राज्य की ओर से क्षेत्रीय योजना-2041 के प्रारूप पर सुझाव भी दिए गए है। कुछ क्षेत्रों के तो 2020 में ही सब रीजन प्लान तैयार किए गए थे। राज्य सरकार ने मौजूदा क्षेत्र को रखने का सुझाव दिया था। -ओम प्रकाश पारीक, सीटीपी एनसीआर

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