जेकेके में सहाना बैनर्जी ने सितार वादन से रचा संगीत का संसार, सावन की रूमानियत हो उठी जीवंत
तीन ताल, झप ताल व एक ताल में प्रस्तुतियां रोमांचक रही
रिमझिम फुहारों के बीच जवाहर कला केंद्र परिसर, सितार की स्वर लहरियों से झूम उठा।
जयपुर। रिमझिम फुहारों के बीच जवाहर कला केंद्र परिसर, सितार की स्वर लहरियों से झूम उठा। मौका था जेकेके की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम सावन शृंगार के तहत पहले दिन सहाना बैनर्जी की सितार वादन प्रस्तुति का।
रामपुर सैनिया घराने की बैनर्जी ने रंगायन सभागार में जब सितार वादन किया तो सावन की रूमानियत जीवंत हो उठी। सहाना ने मियां की मल्हार, राग मेघ और राग देस जैसे बारिश के राग बजाकर माहौल को सावन की मस्ती से सराबोर कर दिया। तीन ताल, झप ताल व एक ताल में उनकी प्रस्तुतियां रोमांचक रही। तबले पर फर्रुखाबाद घराने के कलाकार दुर्जय भौमिक ने संगत की। रामपुर सैनिया घराने के सितार वादक पं. संतोष बैनर्जी व रामपुर सहसवान घराने की गायिका छबि बैनर्जी की पुत्री सहाना बैनर्जी ने अपने माता पिता से ही संगीत की शिक्षा ली है। गुरुवार शाम 6.30 बजे साबरी ब्रदर्स की कव्वालियों की प्रस्तुति होगी।

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