राजस्थान की अदालतें, समग्र रूप से बेहतर, लेकिन कानूनी मदद देने में कई राज्यों से पीछे
कानूनी सहायता को लेकर हालत गंभीर
प्रदेश में विधिक सेवा को लेकर लंबा-चौड़ा बजट और अफसरों की भारी फौज होने के बावजूद लोगों को कानूनी सहायता नहीं मिल रही है।
जयपुर। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2025 की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की न्यायपालिका की रैंकिंग में भारी उछाल आया है। हालांकि लोगों को कानूनी सहायता देने में लगातार कमजोर प्रदर्शन करते हुए प्रदेश 18 बड़े राज्यों और मध्यम राज्यों की श्रेणी में एक सीढ़ी नीचे आकर अंतिम पायदान पर पहुंच गया है। वहीं समग्र रूप से प्रदेश 15 के मुकाबले एक पायदान चढ़कर 14वें नंबर पर आया है।
37 फीसदी जेलों में वीसी नहीं
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में बताया गया कि प्रदेश के 37 फीसदी जेलों में वीडियो कॉन्फे्रसिंग की सुविधा नहीं है। जेलों की स्थिति को लेकर प्रदेश पहले की तरह नंबर 8 पर बना हुआ है। हालांकि प्रदेश ने कैदियों पर होने वाले सालाना खर्च में बढ़ोतरी की है। साल 2021-22 में जहां प्रति कैदी 17,735 रुपए खर्च होते थे, वहीं 2022-23 में इसे बढ़ाकर 23,772 रुपए किया गया है। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट में बीते कई सालों से जेलों में सुधार को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान याचिका पर सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को करीब चार दर्जन बिंदुओं पर दिशा-निर्देश भी दे रखे हैं।
हाईकोर्ट में खाली पद घटे, अधीनस्थ अदालतों में निस्तारण दर 100 फीसदी के पार
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में राजस्थान की न्यायपालिका ने 17 पायदान से सीधे 6 नंबर पर पहुंची है। इसका बड़ा कारण हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के पदों की रिक्तियों में कमी और निचली अदालतों में मुकदमा निस्तारण में तेजी है। साल 2022 में जहां हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के 48 फीसदी पद खाली चल रहे थे, वहीं साल 2025 में यह 14 फीसदी कम हुए हैं। अब यहां 34 फीसदी पद खाली हैं। वहीं केस निपटारे की दर में भी सुधार आया है। जिला अदालतों में साल 2016-17 के बाद पहली बार निस्तारण दर 100 फीसदी को पार कर गई है।
कानूनी सहायता को लेकर हालत गंभीर
प्रदेश में विधिक सेवा को लेकर लंबा-चौड़ा बजट और अफसरों की भारी फौज होने के बावजूद लोगों को कानूनी सहायता नहीं मिल रही है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कानूनी सहायता को लेकर हालात गंभीर है। साल 2022 में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में कानूनी सहायता के मामले में प्रदेश 17वें नंबर पर था। वहीं इस साल जारी रिपोर्ट में यह पिछड़कर सबसे नीचे चला गया है। साल 2019 में एक लाख की आबादी पर 6 पैरालीगल वालंटियर्स थे। बीते सालों में इनकी संख्या में भी गिरावट आई है और अब ये प्रति एक लाख की आबादी पर मात्र 2 से भी कम हो गए हैं।
क्या है इंडिया जस्टिस रिपोर्ट
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की शुरुआत टाटा ट्रस्ट ने की थी। यह 18 बडे और मध्यम राज्यों के साथ ही 7 छोटे राज्यों की रैंकिंग करता है। अधिकारिक सरकारी स्रोतों के नवीन आंकड़ों के आधार पर पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता वर्ग का विश्लेषण किया जाता है। इस दौरान हर वर्ग के बजट, मानव संसाधन, कार्यभार, विविधता और बुनियादी ढांचे और रुझानों में पांच साल की अवधि में होने वाले सुधार को राज्य के घोषित मानकों और बेंचमार्क के आधार पर देखा जाता है।

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