मृतक ससुर की आश्रित नहीं है नौकरी पेशा पुत्रवधु : हाईकोर्ट

विभाग में जूनियर असिस्टेंट के पद पर नियुक्ति का आदेश जारी

मृतक ससुर की आश्रित नहीं है नौकरी पेशा पुत्रवधु : हाईकोर्ट

वहीं याचिकाकर्ता की पत्नी की शिकायत पर विभाग ने 20 दिसंबर, 2024 को आदेश जारी कर उसकी अनुकंपा नियुक्ति को रद्द कर दिया।

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि नौकरी पेशा पुत्रवधु को मृतक ससुर का आश्रित नहीं मान सकते। पुत्रवधु को उस स्थिति में ही मृतक ससुर की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति का हकदार मान सकते हैं, जब उसके ऊपर ही पूरे परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी हो और अन्य कोई आश्रित परिवार की मदद के लिए नहीं हो। वहीं अदालत ने मृतक के बेटे की अनुकंपा नियुक्ति को निरस्त करने वाले 20 दिसंबर, 2024 के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को सेवा में लगातार माना है। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश रवि रावत की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। मामले से जुड़े अधिवक्ता संदीप सक्सेना ने बताया कि याचिकाकर्ता के पिता पीएचईडी विभाग में कार्यरत थे। सरकारी सेवा में रहते हुए उसके पिता आनंद सिंह रावत की मृत्यु हो गई और उनकी जगह पर याचिकाकर्ता को 22 मार्च, 2023 को विभाग में जूनियर असिस्टेंट के पद पर नियुक्ति का आदेश जारी किया।

वहीं याचिकाकर्ता की पत्नी की शिकायत पर विभाग ने 20 दिसंबर, 2024 को आदेश जारी कर उसकी अनुकंपा नियुक्ति को रद्द कर दिया। विभाग का कहना था कि याचिकाकर्ता शादीशुदा है और उसकी बहु भी सरकारी नौकरी में है। इसलिए उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे सकते। इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि उसकी शादी 2020 में हुई थी। इस दौरान ही उसके पिता की 9 अक्टूबर, 2022 को मृत्यु हो गई। इसके बाद वह और उसकी पत्नी साल 2022 से अलग रह रहे हैं।

अनुकंपा नियुक्ति के 1996 के नियम मृतक के आश्रितों व परिजनों की राहत के लिए बने हैं। नियमों में लिखा है कि मृतक कर्मचारी के आश्रित को नियुक्ति दी जाएगी। याचिकाकर्ता ही उसके पिता के आश्रित के तौर पर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। ऐसे में विभाग ने उसकी अनुकंपा नियुक्ति को नियमों के विपरीत जाकर निरस्त की है। इसलिए उसकी अनुकंपा नियुक्ति निरस्त करने का आदेश रद्द कर उसे सेवा में बहाल किया जाए।

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